मुंबई : एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार के लिए अभी रिजर्व बैंक को रिवर्स रेपो दर को यथावत रखा चाहिए. एसबीआई के अर्थशास्त्रियों का कहना है कि केंद्रीय बैंक को फिलहाल तरलता की स्थिति को सामान्य करने के लिए कदम नहीं उठाने चाहिए और अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार के लिए और समय देना चाहिए.
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि रिवर्स रेपो दर को यथावत रखने से मौजूदा आर्थिक पुनरुद्धार को और मजबूत करने के लिए अधिक समय मिलेगा. एसबीआई रिसर्च ने एक नोट में कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक अभी तक अन्य उपायों के माध्यम से अतिरिक्त तरलता को कम करने की कोशिश कर रहा है.
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास (Reserve Bank Governor Shaktikanta Das) की अगुआई वाली एमपीसी की 6-8 दिसंबर को बैठक होने वाली है जिसमें मौद्रिक स्थिति की समीक्षा की जाएगी. इसमें लिए जाने वाले फैसलों की जानकारी आठ दिसंबर को दी जाएगी. केंद्रीय बैंक ने गत अक्टूबर में नीतिगत दरों को यथावत रखा था.
एसबीआई की एक शोध रिपोर्ट के मुताबिक एमपीसी की बैठक में रिवर्स रेपो दर में वृद्धि का फैसला होने की चर्चा अभी अपरिपक्व है. इसके अलावा रिवर्स रेपो दर बढ़ाने जैसा गैर-परंपरागत कदम केंद्रीय बैंक सिर्फ एमपीसी में ही नहीं लेना चाहेगा.
कोटक इकनॉमिक रिसर्च की एक रिपोर्ट (A report by Kotak Economic Research) कहती है कि कोरोना वायरस के नए स्वरूप पर फैली अनिश्चितता के बीच रिजर्व बैंक नीतिगत दरों में बदलाव का फैसला करने से पहले शायद स्थिति स्पष्ट होने का इंतजार करेगा. हालांकि इसने फरवरी में होने वाली अगली मौद्रिक समीक्षा में रिवर्स रेपो दर में वृद्धि का अपना अनुमान बरकरार रखा है.