मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरुवार को एक प्रीपेड भुगतान कार्ड लाने का प्रस्ताव किया जिसका इस्तेमाल 10,000 रुपये तक की माल एवं सेवाओं की खरीद के लिए किया जा सकेगा. चालू वित्त वर्ष की पांचवी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा जारी करने बाद रिजर्व बैंक ने कहा डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहन देने में पूर्व भु्गतान (प्रीपेड) प्रणालियों की अहम भूमिका है. नयी सेवा इस प्रणाली के उपयोग की सुविधा को और बढ़ाएगी.
शक्तिकांत दास, आरबीआई गवर्नर गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने गुरुवार को जारी मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर रेपो को 5.15 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है. केंद्रीय बैंक ने साथ ही कहा है कि आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए वह भविष्य में अपने रुख को उदार बनाए रखेगा.
बयान के अनुसार, "एक नयी तरह की प्रीपेड भुगतान प्रणाली को पेश किया जाएगा. इसका उपयोग 10,000 रुपये तक की माल एवं सेवाओं की खरीद के लिए किया जा सकेगा."
उन्होंने कहा कि इस तरह की प्रीपेड प्रणाली को शुरू करना और फिर से उसमें पैसे भरने का काम केवल बैंक खातों के माध्यम से ही किया जा सकेगा. इसका उपयोग बिलों के भुगतान या दुकानदारों को भु्गतान करने में किया जा सकेगा.
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रिजर्व बैंक ने कहा कि इस संबंध में वह दिशानिर्देश 31 दिसंबर, 2019 को जारी करेगा. वर्तमान में देश में प्रीपेड भुगतान सेवा के तहत बैंक खाते या क्रेडिट कार्ड से प्रणाली में पैसे रखे जा सकते हैं. इनकी मासिक सीमा 50,000 रुपये है. अभी बैंकों और गैर-बैंकिंग इकाइयों को इस तरह के कार्ड जारी करने की अनुमति है.
वर्तमान में देश में तीन तरह की प्रीपेड भुगतान प्रणालियां उपलब्ध हैं. इसके अलावा रिजर्व बैंक ने अंतरराष्ट्रीय वित्त सेवा केंद्र की बैंकिंग इकाइयों (आईबीयू) को उनके कॉरपोरेट ग्राहकों के लिए विदेशी मुद्रा में लेनदेन वाले चालू खाते खोलने की भी अनुमति दे दी. इससे उन्हें परिचालन में मदद होगी.