दिल्ली

delhi

By

Published : Jul 25, 2019, 9:33 PM IST

ETV Bharat / business

रिजर्व बैंक के नीतिगत दरों में कटौती नहीं करने की संभावना : रिपोर्ट

पिछले साल से वैश्विक और घरेलू स्तर पर वृद्धि की रफ्तार कमजोर पड़ रही है, कारोबारी भरोसे का स्तर कई सालों के निचले स्तर पर पहुंच गया है और इससे वृद्धि में फिर सुधार को लेकर चिंताएं बढ़ी हैं.

रिजर्व बैंक के नीतिगत दरों में कटौती नहीं करने की संभावना : रिपोर्ट

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक की अगले महीने पेश होने वाली मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रखे जाने की संभावना है. इसकी अहम वजह देश में वृद्धि की रफ्तार का धीमा पड़ना है. डन एंड ब्रैडस्ट्रीट के अनुसार मानसून का खाद्यान्न कीमतों पर प्रभाव पता लगना अभी बाकी है. अगले महीने के अंत तक यह स्पष्ट हो जाएगा.

हालांकि, मांग में नरमी के चलते कुल मिलाकर मुद्रास्फीति के नियंत्रण में रहने की संभावना है. डन एंड ब्रैडस्ट्रीट इंडिया के मुख्य अर्थशास्त्री अरुण सिंह ने कहा कि पिछले साल से वैश्विक और घरेलू स्तर पर वृद्धि की रफ्तार कमजोर पड़ रही है, कारोबारी भरोसे का स्तर कई सालों के निचले स्तर पर पहुंच गया है और इससे वृद्धि में फिर सुधार को लेकर चिंताएं बढ़ी हैं.

सिंह ने कहा, "बाजार में नकदी के प्रबंधन के लिए कई पहलों के साथ नीतिगत दरों में 0.75 प्रतिशत की कटौती की गयी है. ऐसे में दरों में किसी भी तरह के बदलाव से पहले रिजर्व बैंक को कृषि उत्पादों पर मानसून के प्रभाव और नीतिगत दरों में कटौती के लाभ के प्रसार का इंतजार करना चाहिए.

ये भी पढ़ें:एमएसएमई उत्पादों की बिक्री के लिए अलीबाबा, अमेजन की तर्ज पर शुरू होगा पोर्टल: गडकरी

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने मंगलवार को इस साल के लिए भारत की वृद्धि दर का अनुमान घटाकर सात प्रतिशत और अगले साल के लिए 7.2 प्रतिशत कर दिया है. इसकी वजह उसने घरेलू मांग का कमजोर पड़ना बताया है.

सिंह ने कहा कि अभी घरेलू उपभोग मांग में सुधार सुनिश्चित करने को और निवेश लाने की जरूरत है. उन्होंने कहा, "मौद्रिक प्रोत्साहन के लिए नीतिगत दरों में कटौती और तरलता बढ़ाने जैसे कदम पहले ही उठाए जा चुके हैं. अब यह बहुत हद तक इस बात पर निर्भर करेगा कि सरकार अगले दो-तीन माह के लिए क्या रूपरेखा तैयार करती है."

उन्होंने कहा कि राजकोषीय बाध्यताओं के चलते सरकार का ध्यान अब पूंजी के उपयोग का प्रदर्शन स्तर सुधारने पर और बाजार उन्मुखी सुधार पर होना चाहिए. रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक पांच से सात अगस्त को होनी है. इससे पहले जून की बैठक के बाद केंद्रीय बैंक ने नीतिगत दरों में इस साल तीसरी बार कटौती की थी.

ABOUT THE AUTHOR

...view details