मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास मानते हैं कि मौद्रिक नीति में आगे और कदम उठाने की गुंजाइश है पर फिलहाल वह अपने शस्त्रों को भविष्य में इस्तेमाल के लिये बचाकर रखने के पक्ष में हैं. उन्होंने कहा कि आर्थिक वृद्धि के लिये इनका उपयुक्त समय पर इस्तेमाल किया जाना चाहिये.
रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की हालिया बैठक के ब्यारे में यह बात सामने आई है. रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की इस महीने की शुरुआत में हुई तीन दिवसीय बैठक की कार्यवाही की जानकारियां बृहस्पतिवार को जारी की गयीं. गवर्नर दास की अगुवाई वाली समिति ने यथास्थिति बरकरार रखते हुए नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया.
हालांकि, समिति ने अपना रुख उदार बनाये रखा, जिससे भविष्य में कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिये जरूरत पड़ने पर दरों में आगे कटौती की गुंजाइश के संकेत मिलते हैं. ब्योरे के अनुसार, दास ने यह भी कहा कि इस स्तर पर वृद्धि और मुद्रास्फीति के दृष्टिकोण के एक मजबूत आकलन के लिये इंतजार करना विवेकपूर्ण होगा.
दास ने कहा, "इस मौके पर वृद्धि और मुद्रास्फीति के दृष्टिकोण के मजबूत आकलन के लिये इंतजार करना विवेकपूर्ण होगा, क्योंकि अर्थव्यवस्था धीरे धीरे खुल रही है, आपूर्ति में अड़चनें कम होती दिख रही हैं और मूल्य जानकारियां पाने का स्वरूप स्थिर हो रहा है."
गवर्नर ने कहा कि घरेलू और बाहरी मांग के बीच कम क्षमता के उपयोग से निवेश मांग के पुनरुद्धार में देरी होने की संभावना है. उन्होंने कहा कि वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद के साल की पहली छमाही में सिकुड़ने की आशंका है, और पूरे वित्त वर्ष 2020-21 के लिये वृद्धि के नकारात्मक रहने का अनुमान है.
दास ने कहा कि खाद्य और ईंधन को छोड़कर समूचे खाद्य और उपभोक्ता मूलय सूचकांक में आर्थिक वृद्धि में तेज गिरावट की आशंका की स्थिति में दबाव होना गंभीर चिंता का विषय है.
उन्होंने कहा, "जैसा कि मैं अक्टूबर 2019 से कह रहा हूं, मौद्रिक नीति को आर्थिक सुधार प्रक्रिया के समर्थन की दिशा में बनाया गया है. हालांकि, मौद्रिक नीति के तहत और कदम उठाने की गुंजाइश बनी हुई है लेकिन इस स्थिति में हमें अपने हथियारों को बचाकर रखना चाहिये और आने वाले समय में विवेकपूर्ण तरीके से इनका उपयोग करना चाहिये."
दास ने कहा कि फरवरी 2019 के बाद से नीतिगत दर में कुल 2.50 प्रतिशत की कटौती की जा चुकी है. उन्होंने कहा, ऐसे में हमें कुछ समय के लिये रुकना चाहिये और इस कटौती का प्रभाव वित्तीय प्रणाली में देखना चाहिये.