मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस की. कोरोना वायरस की वजह से अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है. ऐसे में लॉकडाउन बढ़ने के बाद अर्थव्यवस्था को हो रहे नुकसान से बचाने के लिए दास ने अहम घोषणाएं की.
केंद्रीय बैंक ने ईएमआई भुगतान पर मध्यम वर्ग को अतिरिक्त राहत देने के लिए स्थगन नियमों में और ढील दी. इसने राज्य सरकारों के अग्रिमों (डब्ल्यूएमए) के तरीकों और साधनों में भी काफी वृद्धि की ताकि देशव्यापी लॉकडाउन के कारण उनके नकदी-प्रवाह को संबोधित करने में मदद मिल सके.
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केन्द्रीय बैंक ने इसके साथ ही रिवर्स रेपो दर में 0.25 प्रतिशत कटौती कर उसे 3.75 प्रतिशत कर दिया. हालांकि, रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है. रिवर्स रेपो दर घटने से बैंक अपनी नकदी को फौरी तौर पर रिजर्व बैंक के पास रखने को कम इच्छुक होंगे. इससे उनके पास नकदी की उपलब्धता बढ़ेगी. पिछले तीन हफ्तों में रिवर्स रेपो रेट में यह दूसरी कटौती है.
हालांकि, आज रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है क्योंकि कानून के तहत केवल रेपो दर में बदलाव के लिए मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ही अधिकृत है.
रिवर्स रेपो रेट में एक और 25 बेस प्वाइंट कटौती से रेपो और रिवर्स रेपो रेट के बीच की खाई और चौड़ी हो जाएगी, जिससे दो प्रमुख ब्याज दरों के बीच 65 आधार अंकों का अंतर पैदा होगा.
बैंकों को लोन देने के लिए तरलता का उपयोग करने के लिए आरबीआई ने किया प्रोत्साहित
इस कदम का उद्देश्य बैंकों को अपने साथ उपलब्ध सरप्लस फंड का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित करना है, बजाय इसके कि वह रिज़र्व बैंक की ओर देखें जो बाजार में पैसे की आपूर्ति को कम करता है.
जबकि रेपो दर वह दर है जिस पर बैंक आगे ऋण देने के लिए रिज़र्व बैंक से पैसा लेते हैं, रिवर्स रेपो दर वह दर है जिस पर वे रिज़र्व बैंक के साथ अपने अधिशेष कोष को पार्क करते हैं.
ये दो नीतिगत दरें खुदरा और अन्य संस्थागत उधारकर्ताओं और उधारदाताओं के लिए ब्याज दरों की दिशा निर्धारित करती हैं.
आरबीआई ने प्रणाली में धन की कमी को दूर करने के लिए कुल 1 लाख करोड़ रुपये के दो तरलता बढ़ाने के उपायों की भी घोषणा की है.
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार सुबह ये घोषणायें करते हुये कहा कि कोरोना वायरस के कारण अर्थव्यवस्था पर बढ़े वित्तीय दबाव को कम करने के लिए केन्द्रीय बैंक पर्याप्त नकदी सुनिश्चित करेगा.
इसके साथ ही दास ने राज्यों पर खर्च के बढ़े दबाव को देखते हुये उनके लिये अग्रिम की सुविधा को 60 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है. इससे राज्यों को इस कठिन समय में संसाधन उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी.
दास ने अन्य उपायों के संबंध में कहा कि केंद्रीय बैंक लक्षित दीर्घकालिक रेपो परिचालन (टीएलटीआरओ) के जरिए अतिरिक्त 50,000 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध करायेगा. यह काम किस्तों में किया जायेगा.
शक्तिकांता दास ने कहा कि उन्होंने बाजार सहभागियों को आश्वस्त करने की कोशिश की कि केंद्रीय बैंक स्थिति पर नजर बनाए हुए है.
27 मार्च को मीडिया को अपने संबोधन में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया था कि बैंक ने पहले ही 25,000 करोड़ रुपये के 6 दीर्घकालिक रेपो परिचालन के माध्यम से प्रणाली में 1.25 लाख करोड़ रुपये का डालेगा. जिसमें परिपक्वता अवधि है 1 से 3 साल होगी.
आज, शक्तिकांत दास ने सूचित किया कि लक्षित दीर्घकालिक रेपो परिचालन के दूसरे दौर के तहत 75,000 करोड़ रुपये पहले ही इंजेक्ट किए जा चुके थे और 25,000 करोड़ रुपये का चौथा किश्त आज के लिए निर्धारित था. 17 फरवरी से लक्षित लंबी अवधि के रेपो परिचालन का कुल मूल्य 2.25 लाख करोड़ रुपये है.