मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि कोविड-19 महामारी के बीच भारत को सतत वृद्धि की राह पर लौटने के लिए गहरे और व्यापक सुधारों की जरूरत है. केंद्रीय बैंक ने आगाह किया है कि इस महामारी की वजह से देश की संभावित वृद्धि दर की क्षमता नीचे आएगी.
रिजर्व बैंक ने अपने 'आकलन और संभावनाओं' में कहा है कि कोविड-19 महामारी ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से 'तोड़' दिया है. भविष्य में वैश्विक अर्थव्यवस्था का आकार इस बात पर निर्भर करेगा कि इस महामारी का फैलाव कैसा रहता है, यह महामारी कब तक रहती है और कब तक इसके इलाज का टीका आता है.
केंद्रीय बैंक का 'आकलन और संभावनाएं' 2019-20 की वार्षिक रिपोर्ट का हिस्सा हैं. रिजर्व बैंक ने कहा कि एक बात जो उभरकर आ रही है, वह यह है कि कोविड-19 के बाद की दुनिया बदल जाएगी और एक नया 'सामान्य' सामने आएगा.
रिजर्व बैंक ने कहा, "महामारी के बाद के परिदृश्य में गहराई वाले और व्यापक सुधारों की जरूरत होगी. उत्पाद बाजार से लेकर वित्तीय बाजार, कानूनी ढांचे और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के मोर्चे पर व्यापक सुधारों की जरूरत होगी. तभी आप वृद्धि दर में गिरावट से उबर सकते हैं और अर्थव्यवस्था को वृहद आर्थिक और वित्तीय स्थिरता के साथ मजबूत और सतत वृद्धि की राह पर ले जा सकते हैं."
रिजर्व बैंक ने कहा कि शेष दुनिया की तरह भारत में भी संभावित वृद्धि की संभावनाएं कमजोर होंगी.
"कोविड-19 के बाद के परिदृश्य में प्रोत्साहन पैकेज और नियामकीय रियायतों से हासिल वृद्धि को कायम रखना मुश्किल होगा, क्योंकि तब प्रोत्साहन हट जाएंगे."
रिजर्व बैंक ने कहा कि अर्थव्यवस्था में सुधार भी कुछ अलग होगा. वैश्विक वित्तीय संकट कई साल की तेज वृद्धि और वृहद आर्थिक स्थिरता के बाद आया था. वहीं कोविड-19 ने ऐसे समय अर्थव्यवस्था को झटका दिया है, जबकि पिछली कई तिमाहियों से यह सुस्त रफ्तार से आगे बढ़ रही थी.
राजकोषीय मजबूती की राह पर लौटने की स्पष्ट, समयबद्ध रणनीति जरूरी: आरबीआई
कोरोना वायरस महामारी के कारण चुनौतीपूर्ण बनती राजकोषीय स्थिति के बीच भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि सरकार को आने वाले वर्षों में राजकोषीय मजबूती के रास्ते पर लौटने के लिये स्पष्ट रणनीति और विश्वसनीय लक्ष्य तय करने होंगे.
रिजर्व बैंक की मंगलवार को जारी 2019-20 की वार्षिक रिपोर्ट में यह कहा गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 25 राज्यों से मिली सूचनाओं के अनुसार 2019-20 (संशोधित अनुमान) में सरकारों का राजकोषीय घाटा बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6.5 प्रतिशत तक पहुंच गया है, जो कि 2018-19 में 5.4 प्रतिशत पर था.
इसी तरह बकाया देनदारियां भी 2019-20 (संशोधित अनुमान) में बढ़कर जीडीपी का 70.4 प्रतिशत तक पहुंच गई हैं, जो 2018-19 में 67.5 प्रतिशत थीं. वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में राजकोषीय घाटा और बकाया देनदारियों के अनुमानित लक्ष्य को क्रमश: जीडीपी के 5.8 प्रतिशत और 70.5 प्रतिशत पर रखा गया है.
हालांकि, खातों की शुरुआती सूचनाओं के मुताबिक सभी राज्य सरकारों सहित समूची सरकार का राजकोषीय घाटा 2019-20 में बढ़कर 7.5 प्रतिशत तक पहुंच सकता है.
रिपोर्ट कहती है, "इस प्रकार पिछले दो साल में राजकोषीय मोर्चे पर जो मजबूती हासिल कि गई वह 2019-20 में वापस उसी स्तर पर पहुंच गई."
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रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020-21 में राजकोषीय घाटे के जो बजट लक्ष्य रखे गए हैं, कोविड-19 की वजह से उन्हें हासिल करना और भी चुनौतीपूर्ण बन गया है. रिपोर्ट कहती है कि महामारी पर अंकुश के उपायों, स्वास्थ्य ढांचे के क्षेत्र में राजकोषीय हस्तक्षेप, समाज के कमजोर तबकों को मदद तथा विभिन्न क्षेत्रों के लिए किये गये राहत उपायों की वजह से राजकोषीय लक्ष्यों को हासिल करना और ज्यादा मुश्किल काम हो गया है.
रिजर्व बैंक की सालाना रिपोर्ट कहती है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण ऊंचे राजकोषीय घाटे और अधिक कर्ज की वर्तमान नीति से निकलने की स्पष्ट रणनीति तथा विश्वसनीय समयबद्ध लक्ष्य रखने होंगे. रिजर्व बैंक ने कहा कि 2020-21 के जो भी अनुमान हैं वह मार्च में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन शुरू होने से पहले के हैं.
इस दौरान आर्थिक गतिविधियों में ठहराव आने तथा महामारी से लड़ने के लिये सरकारी खर्च बढ़ने से सरकारों का राजकोषीय घाटा और कर्ज उठाव बजट लक्ष्य से कहीं ऊंचा रहने का अनुमान है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी में पेश आम बजट में 2020-21 में राजकोषीय घाटा 7.96 लाख करोड़ रुपये यानी जीडीपी का 3.5 प्रतिशत रहने का लक्ष्य रखा था.
कोविड-19 के कारण बढ़े खर्च और कम राजस्व प्राप्ति से उत्पन्न स्थिति के चलते राजकोषीय घाटे का लक्ष्य उल्लेखनीय रूप से संशोधित किया जा सकता है. चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से जून अवधि के दौरान राजकोषीय घाटा तय बजट लक्ष्य के 83.2 प्रतिशत यानी 6.62 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया. इस दौरान प्राप्ति में कमी और व्यय बढ़ा है.
पिछले वित्त वर्ष का राजकोषीय घाटा जीडीपी के 3.3 प्रतिशत के अनूमान के मुकाबले अंतिम आंकड़े में 4.59 प्रतिशत तक रहने का अनुमान है. कोरोना वायरस से प्रभावित अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए केंद्र सरकार ने लगभग 21 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की है.
रिजर्व बैंक का अनुमान है कि 2020-21 में वास्तविक जीडीपी संकुचित होगा. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही का जीडीपी 31 अगस्त को जारी करेगा.
देश के लिये अधिशेष खाद्यान्न का प्रबंधन प्रमुख चुनौती: आरबीआई रिपोर्ट
रिजर्व बैंक ने कहा है कि देश अब ऐसी स्थिति में पहुंच गया है, जहां अधिशेष खाद्यान्न का प्रबंधन बड़ी चुनौती है. देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन 2019-20 में रिकार्ड 29.665 करोड़ टन पहुंच गया. वहीं बागवानी उत्पादन अबतक के सर्वोच्च स्तर 32.05 करोड़ टन रहा.
कृषि क्षेत्र में सकल मूल्यवर्धन में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी बागवानी क्षेत्र की है. भारत अब दूध, अनाज, दाल, सब्जी, फल, कपास, गन्ना, मछली, कुक्कुट और पशुधन के मामनले में अग्रणी उत्पादकों में शामिल है. इसके परिणामस्वरूप 2019-20 में कृषि जीवीए में वृद्धि दर 4 प्रतिशत पर पहुंच गयी.