दिल्ली

delhi

ETV Bharat / business

मुद्रास्फीति में नरमी पर निर्भर करेगी नीतिगत दर में कटौती: आरबीआई गवर्नर

दास ने कहा कि 2020-21 की पहली तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में तीव्र गिरावट के बाद दूसरी तिमाही में आर्थिक गतिविधियों की स्थिति के बारे में संकेत देने वाले महत्वपूर्ण आंकड़ें (पीएमआई, निर्यात, बिजली खपत आदि) स्थिति में सुधार का इशारा करते हैं.

By

Published : Oct 23, 2020, 10:01 PM IST

मुद्रास्फीति में नरमी पर निर्भर करेगी नीतिगत दर में कटौती: आरबीआई गवर्नर
मुद्रास्फीति में नरमी पर निर्भर करेगी नीतिगत दर में कटौती: आरबीआई गवर्नर

मुंबई: रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि नीतिगत दर में कटौती की गुंजाइश है लेकिन इस दिशा में आगे कदम मुद्रास्फीति के मोर्चे पर उभरती स्थिति पर निर्भर करेगा जो फिलहाल केंद्रीय बैंक के संतोषजनक स्तर से ऊपर चल रही है.

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के जारी ब्योरे के अनुसार गवर्नर ने कहा, "मेरा यह मानना है कि अगर मुद्रास्फीति हमारी उम्मीदों के अनुरूप रहती हैं, तो भविष्य में नीतिगत दर में कटौती की गुंजाइश होगी. इस गुंजाइश का उपयोग आर्थिक वृद्धि में सुधार को संबल देने के लिये सोच-समझकर करने की जरूरत है."

पुनर्गठित एमपीसी की बैठक इस माह की शुरआत में सात से नौ अक्टूबर के दौरान हुई. समिति ने खुदरा मुद्रास्फीति में तेजी को देखते हुए नीतिगत दर को यथावत रखने का निर्णय किया.

दास ने कहा कि 2020-21 की पहली तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में तीव्र गिरावट के बाद दूसरी तिमाही में आर्थिक गतिविधियों की स्थिति के बारे में संकेत देने वाले महत्वपूर्ण आंकड़ें (पीएमआई, निर्यात, बिजली खपत आदि) स्थिति में सुधार का इशारा करते हैं.

उन्होंने कहा, "हालांकि, कुछ अनिश्चितताएं भी हैं, जो शुरूआती पुनरूद्धार के पहिये को रोक सकती हैं. उसमें मुख्य रूप से कोविड-19 के मामलों में फिर से बढ़ोतरी की आशंका है. घरेलू वित्तीय स्थिति में सुधार के बावजूद निजी निवेश गतिविधियां नरम रह सकती हैं."

वैश्विक आर्थिक गतिविधियों और व्यापार में तीव्र गिरावट के बाद बाह्य मांग हल्का रहने की आशंका है. आरबीआई के अनुसार चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 9.5 प्रतिशत गिरावट की आशंका है. अगले साल इसमें मजबूत पुनरूद्धार की उम्मीद है.

गवर्नर ने कहा, "मुद्रास्फीति परिदृश्य की बात की जाए तो खरीफ फसल और रबी मौसम बेहतर रहने से आने वाले समय में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर नरम रहनी चाहिए."

रिजर्व बैंक के अनुसार सकल मुद्रास्फीति चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में नरम रहेगी. अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इसमें और कमी आने का अनुमान है.

मुद्रास्फीति जून से 6 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है. सरकार ने आरबीआई को महंगाई दर 2 प्रतिशत घट-बढ़ के साथ 4 प्रतिशत के स्तर पर रखने की जिम्मेदारी दी हुई है. एमपीसी के सदस्य और डिप्टी गवर्नर माइकल देबव्रत पात्रा ने कहा कि भारत इस साल की पहली तिमाही में तकनीकी रूप से मंदी की स्थिति में पहुंचा. यह देश के इतिहास में पहली बार हुआ है.

ये भी पढ़ें:एयर इंडिया में विनिवेश पर शनिवार को अहम बैठक

उन्होंने कहा, "जीडीपी आर्थिक गतिविधियों की जानकारी देता है. लेकिन स्वास्थ्य संकट के कारण मानवीय समस्याओं तथा सामाजिक और मानवीय पूँजी के नुकसान को प्रतिबिंबित नहीं करता है."

पात्रा ने कहा, "...अगर अनुमान सही बैठता है, जीडीपी में 2020-21 में कोविड- पूर्व स्तर के मुकाबले करीब 6 प्रतिशत की कमी आएगी और उत्पादन के स्तर पर जो नुकसान हुआ है, उसे पाप्त करने में कई वर्ष लग सकते हैं."

आरबीआई के कार्यकारी निदेशक मृदुल के सागर ने नीतिगत दर को यथावत रखने के पक्ष में वोट करते हुए इस बात पर चिंता जतायी कि अगर मौजूदा नकारात्मक वास्तविक ब्याज दर और नीचे जाती है, इससे विकृतियां उत्पन्न हो सकती है जिससे सकल बचत, चालू खाता और मध्यम अवधि में वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.

उन्होंने कहा, "खुदरा मियादी जमा दर एक साल की अवधि के लिये 4.90 से 5.50 प्रतिशत के बीच है. जबकि सकल मुद्रास्फीति कुछ महीनों से इससे ऊपर है. भविष्य में मुद्रास्फीति नीचे आने की उम्मीद है और इससे नीतिगत दर में कमी की गुंजाइश होगी. ऐसे में फिलहाल नीतिगत दर को यथावत रखना युक्तिसंगत होगा."

एमपीसी के तीनों नये सदस्य... शशांक भिडे, आशिमा गोयल और जयंत आर वर्मा...ने भी नीतिगत दर यथावत रखने के पक्ष में मत दिया.

(पीटीआई-भाषा)

ABOUT THE AUTHOR

...view details