नई दिल्ली : केंद्रीय उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु ने निर्यात बढ़ाने के लिये रसायन क्षेत्र के अधिक उत्पादों को ब्याज दर छूट का लाभ देने की मंगलवार को वकालत की. सरकार सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्योग (एमएसएमई) समेत कुछ क्षेत्रों को निर्यात पर ब्याज में पांच प्रतिशत की छूट देती है.
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "मंत्री ने कहा कि अधिक टैरिफ व्यवस्था करके ब्याज समानीकरण योजना को बढ़ाने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि पर्यावरण मंजूरी प्रक्रिया तेज करने की जरूरत है, विशेषकर उत्पाद मिश्रण के संबंध में."
उन्होंने कहा कि अग्रिम प्राधिकरण (प्रत्याशित प्रभाव के साथ) के लिए आयात पूर्व शर्त को समाप्त करने की आवश्यकता है. प्रभु ने दवा तथा रसायन उद्योग के प्रतिनिधि फार्मेक्सिल तथा केमिक्सिलीन के अध्यक्षों के साथ यहां एक बैठक में निर्यात को प्रोत्साहन देने और उद्योग विशेष की समस्याओं को चिह्नित करने पर चर्चा की.
वाणिज्य मंत्री ने बैठक में कहा कि उनका मंत्रालय रसायन क्षेत्र में निर्यात को बढ़ाने में बाधक विषयों को समझता है और रसायन क्षेत्र में निर्यात बढ़ाने के लिए इन समस्याओं को सुलझाने की आवश्यकता है. उन्होंने इन सभी विषयों पर अन्य मंत्रालयों तथा विभागों से बातचीत का आश्वासन दिया.
उन्होंने बताया कि अन्य देशों के एफटीए से हो रहे नुकसान के कारण बाजार विशेष के लिए विशेष सामग्रियों को एमईआईएस समर्थन के विषय का समाधान निकाला जाना चाहिए. भारतीय दवा उद्योग विश्व स्तर पर अग्रणी भूमिका निभा रहा है. वैश्विक उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत है और मूल्य के मामले में विश्व स्तर पर 2.4 प्रतिशत हिस्सेदारी है. भारतीय दवा उद्योग के कुल कारोबार में निर्यात की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से अधिक है. वर्ष 2017-18 में दवा निर्यात 17.27 अरब डॉलर का था.
(भाषा)
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