बेंगलुरु: दो महीने से अधिक के लॉकडाउन ने देश की श्रम शक्ति प्रबंधन में खामियों को उजागर किया है. हालांकि अध्ययनों से पता चला है कि देश का लगभग 90% कार्यबल असंगठित क्षेत्र में है. इसलिए समय की मांग है कि मूल प्रवासी श्रमिकों की मदद के लिए सामाजिक सुरक्षा उपायों का निर्माण किया जाए.
अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अमित बसोले ने कहा कि प्रवासी मजदूरों के लिए राहत के उपाय सुनिश्चित करने के लिए सरकार के पास उनके ठिकाने के बारे में जानकारी और डेटा होना चाहिए.
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"पिछले कुछ हफ्तों में सामने आए प्रवासी संकट के परिणामस्वरूप जो एक महत्वपूर्ण सबक सीखा गया है, वह यह है कि हमें देश भर में श्रमिकों के आंदोलनों पर सूचना और डेटा के मामले में बहुत तैयार रहने की आवश्यकता है."
एक सटीक डेटाबेस होने के लाभों पर बात करते हुए, प्रोफेसर बसोले ने कहा, "अच्छी गुणवत्ता वाले डेटा होना बेहद जरुरी है ताकि सरकार मजदूरों के गृह राज्य जान सकें और इसके साथ ही उन्हें किसी भी तरह की मदद पहुंचाने में मदद कर सकें."