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अर्थव्यवस्था पर श्वेतपत्र नहीं लाएगी सरकार: वित्तमंत्री

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि छोटे दुकानदारों और खुदरा विक्रेताओं और स्वरोजगार करने वाले व्यक्तियों के लिए भी इसी तरह की पेंशन योजना को मंजूरी दी गई है. संरचनात्मक सुधारों का सकारात्मक प्रभाव वृद्धि पर पड़ने से संगठित व असंगठित क्षेत्र दोनों में अतिरिक्त रोजगार पैदा होते हैं.

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Published : Nov 25, 2019, 4:52 PM IST

अर्थव्यवस्था पर श्वेतपत्र नहीं लाएगी सरकार: वित्तमंत्री

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सोमवार को कहा कि अर्थव्यवस्था पर श्वेतपत्र लाने का कोई प्रस्ताव नहीं है और देशभर के छोटे और सीमांत किसानों के लिए एक स्वैच्छिक और सहायक पेंशन योजना को पहले ही मंजूरी दे दी गई है, जो ग्रामीण क्षेत्र में आय सुरक्षा को बढ़ावा देगी.

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि छोटे दुकानदारों और खुदरा विक्रेताओं और स्वरोजगार करने वाले व्यक्तियों के लिए भी इसी तरह की पेंशन योजना को मंजूरी दी गई है. संरचनात्मक सुधारों का सकारात्मक प्रभाव वृद्धि पर पड़ने से संगठित व असंगठित क्षेत्र दोनों में अतिरिक्त रोजगार पैदा होते हैं.

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आईबीसी की शुरुआत एक महत्वपूर्ण कदम
लोकसभा में लिखित सवालों पर जवाब देते हुए वित्तमंत्री निर्मला ने कहा कि हाल के सालों में कई संरचनात्मक सुधार शुरू किए गए हैं. देश के वित्तीय प्रणाली की मजबूती व पारदर्शिता के लिए इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) की शुरुआत एक महत्वपूर्ण कदम है.

उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था से कालेधन को निकालने, कर आधार को बढ़ाने व समावेशी वृद्धि की औपचारिकता को बढ़ाने के लिए नोटबंदी एक जरूरी कदम था. देश की वृद्धि कई कारकों पर निर्भर है, जिसमें संरचनात्मक, बाह्य, वित्तीय एवं मौद्रिक कारकों पर निर्भर करती है. नोटबंदी के प्रभाव को जानने के लिए कोई प्रत्यक्ष या अगल से डाटा उपलब्ध नहीं है.

मंत्री के जवाब के अनुसार, वस्तु एवं सेवा कर का क्रियान्वयन स्पष्ट तौर पर देश में व्यापार करने की सहजता में सुधार के महत्वपूर्ण उपायों में है. मेक-इन-इंडिया कार्यक्रम विश्व स्तर की वस्तुएं एंड सेवाओं के उत्पादन में देश की स्वदेशी क्षमता को बढ़ाने की दिशा में एक प्रमुख पहल है. सतत उदारीकरण से देश में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में रिकार्ड व अभूतपूर्व वृद्धि हुई है.

हाल ही में सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स रेट को 30 फीसदी से कटौती कर 22 फीसदी कर दिया है, ऐसा देश में निवेश गतिविधि को बढ़ाने के लिए किया गया है. विशेष रूप से नई घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स दर में 15 फीसदी की कटौती की गई है.

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