नई दिल्ली: क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने मंगलवार को कहा कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए आरबीआई द्वारा घोषित नई तरलता की जरूरत साख सकरात्मक है, क्योंकि इससे तरलता की कमी के कारण पैदा होने वाले जोखिम में कमी आएगी. तरलता का अभाव होने से संपत्ति आधारित प्रतिभूतियों (एबीएस) पर दिए गए कर्ज की वसूली की उनकी क्षमता प्रभावित हो सकती है.
रेटिंग एजेंसी ने यह टिप्पणी भारत में संपत्ति आधारित प्रतिभूतियों पर गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों के लिए तरलता राशि अनुपात के विनियमनों में आरबीआई द्वारा किए गए बदलाव पर की है.
आरबीआई ने घोषणा की थी कि एक अप्रैल 2020 से भारत के गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों (एनबीएफआई) के लिए तरलता राशि अनुपात (एलसीआर) लागू होगा.