नई दिल्ली:अधिकांश संकेतक कमजोर घरेलू मांग और सुस्त निवेश माहौल की ओर इशारा कर रहे हैं, लिहाजा भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में और घट सकती है. जीडीपी के आधिकारिक आंकड़े सामने आने के बाद अधिकांश शोध फर्मों ने पिछली तिमाही में सुस्त वृद्धि की भविष्यवाणी करते हुए वित्त वर्ष 2020 के लिए अपने अनुमान को संशोधित किया है.
वित्त वर्ष 2020 की सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर घटकर 6.7 फीसदी (छह साल का निचला स्तर) पर आ गई. जबकि इससे पहले इसके 7.3 फीसदी पर रहने का अनुमान लगाया गया था.
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (इंड-रा) ने 28 अगस्त को कहा था कि चालू वित्त वर्ष में मंद वृद्धि वाला लगातार तीसरा साल होगा. इसने इसके लिए मुख्य रूप से उपभोग की मांग में कमी, मॉनसून में देरी, विनिर्माण में गिरावट और निर्यात को प्रभावित करने वाले वैश्विक व्यापार में मंदी को जिम्मेदार ठहराया है.
फिच ग्रुप की फर्म ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "तिमाही आधार पर भी वित्त वर्ष 2020 की पहली तिमाही में लगातार पांचवीं बार सकल घरेलू उत्पाद में गिरावट दर्ज की गई है. इंड-रा को इसके 5.7 फीसदी तक रहने की उम्मीद है."
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