नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी के बाद की दुनिया में चीन में तैयार उत्पादों के मुकाबले भारतीय उत्पादों की बेहतर स्थिति का लाभ उठाने और निर्यात को बढ़ावा देने के लिये सरकार को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उपक्रमों (एमएसएमई) को प्रत्यक्ष बढ़ावा देने की जरूरत है. एक रिपोर्ट में यह कहा गया है.
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की बृहस्पतिवार को जारी इकोरैप रिपोर्ट के अनुसार, यदि भारत अपनी क्षमताओं का निर्माण करता है और चीन की बाजार हिस्सेदारी पर कब्जा करता है, तो भी सबसे कम अनुकूल स्थिति में निर्यात में 20 अरब डॉलर से लेकर 193 अरब डॉलर तक की उल्लेखनीय वृद्धि हासिल की जा सकती है.
रिपोर्ट के अनुसार, "जहां तक पूंजीगत वस्तुओं के निर्यात का सवाल है, भारत का इस मामले में तुलनात्मक लाभ चीन के मुकाबले कम है, लेकिन इसके बावजूद भी भारत इस अवसर का लाभ अपने पूंजीगत वस्तुओं के निर्यात को बढ़ाने में कर सकता है."
हालांकि, अभी बड़ा अवसर उपभोक्ता वस्तुओं के क्षेत्र में है, जिसमें भारत का तुलनात्मक लाभ यानी आरसीए चीन से अधिक है. उपभोक्ता वस्तुओं के मामले में देश के एमएसएमई क्षेत्र के योगदान को यदि देखा जाये तो सबसे अधिक कपड़ा और वस्त्र क्षेत्र में 17.30 प्रतिशत, खाद्य उत्पादों में 12.30 प्रतिशत और फसल व पशु संबंधी उत्पादन में 10.0 प्रतिशत तक क्षेत्र का योगदान है.