नई दिल्ली:पिछले वित्तवर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के लिए पुनर्पूजीकरण राशि को बढ़ाकर 1.06 लाख करोड़ रुपये करने के बाद, वित्त मंत्रालय निकट भविष्य में अधिक धनराशि देने के पक्ष में नहीं है, और इसके लिए आगामी केंद्रीय बजट में प्रावधान की संभावना नहीं है. एक आधिकारिक सूत्र ने मंगलवार को यह जानकारी दी.
सूत्र ने कहा, "हमने बैंकों के पुनर्पूजीकरण के लिए अब तक बजट में कोई पूंजी नहीं मांगी है. उनकी धन की जरूरतों की समीक्षा आमतौर पर तीसरी तिमाही में की जाती है, इसलिए हमें अब तक के आकलन का पता नहीं है."
उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें पिछले वित्तवर्ष में केवल वित्तपोषित किया गया है और यदि आगे उन्हें धन की जरूरत है, तो हम इसे पूरक मांगों के माध्यम से उठाएंगे.
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वित्तवर्ष 2018-19 में, सरकार ने सरकारी बैंकों की विनियामक और विकास पूंजी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 1.6 लाख करोड़ रुपये की पूंजी लगाई थी, जो अब तक उच्चतम है. यह पांच सरकारी बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) फ्रेमवर्क से बाहर आने के लिए दी गई थी. इन बैकों को पीसीए फ्रेमवर्क में इसलिए डाला गया था, क्योंकि इनकी भारी भरकम रकम कर्ज के रूप में फंसी है, जिसकी वसूली नहीं हो पाई है और उन फंसे कर्जो को गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) घोषित कर दिया गया है.