हैदराबाद: खाद्य प्रसंस्करण वैश्विक अर्थव्यवस्था में खाद्य आपूर्ति श्रृंखला का एक अभिन्न हिस्सा बन गया है. भारत में पिछले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में काफी वृद्धि देखने को मिली है. यह क्षेत्र लगभग 11% कृषि मूल्य वर्धित और 9% विनिर्माण मूल्य वर्धित उत्पादों में योगदान देता है.
उद्योग मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट 2018-19 के अनुसार, फूड प्रोसेसिंग क्षेत्र के संगठित क्षेत्र में कार्यबल का 12.8% और असंगठित क्षेत्र में कार्यबल का 13.7% कार्यरत है.
दुनिया में कृषि और खाद्य उत्पादों के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक होने के बावजूद, भारत को वैश्विक खाद्य प्रसंस्करण मूल्य श्रृंखलाओं में काफी पीछे है. वास्तव में शेष भारत (अधिकांश अन्य क्षेत्रों) की तरह यह क्षेत्र भी काफी हद तक असंगठित और अनौपचारिक है.
खाद्य प्रसंस्करण का वर्गीकरण
खाद्य प्रसंस्करण को प्राथमिक और माध्यमिक प्रसंस्करण में वर्गीकृत किया जा सकता है. चावल, चीनी, खाद्य तेल और आटा पीसने की मिलें प्राथमिक प्रसंस्करण के उदाहरण हैं. माध्यमिक प्रसंस्करण में फल और सब्जियां, दूध उत्पाद, बेकरी, चॉकलेट और अन्य वस्तुओं का प्रसंस्करण शामिल है.
भारत में प्रसंस्करण प्राथमिक वर्ग तक ही सीमित है, जिसमें द्वितीयक प्रसंस्करण की तुलना में कम मूल्य-वृद्धि होती है. किसानों को आय बढ़ाने के लिए प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों की मूल्य श्रृंखला में ऊपर की ओर बढ़ाने की आवश्यकता है. उदाहरण के लिए, बागवानी उत्पाद, जैसे कि फल और सब्जियां, अनाज की फसलों की तुलना में अधिक मूल्य-वृद्धि की क्षमता रखते हैं.
खाद्य प्रसंस्करण का महत्व
खाद्य प्रसंस्करण अतिरिक्त उत्पादन का कुशलता से उपयोग करने का अवसर प्रदान करता है. सिर्फ विकास के नजरिए से नहीं, खाद्य प्रसंस्करण खाद्य अपशिष्ट को कम करने के भी दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है.
संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि उत्पादन का 40% खाना बर्बाद हो जाता है. वहीं, नीति आयोग के अध्ययन ने बताया था कि अनुमानित रूप से वार्षिक कटाई के बाद के 90,000 करोड़ रुपये का नुकसान होता है.
मेगा फूड पार्क की अवधारणा
मेगा फूड पार्क की योजना किसानों, प्रोसेसर और खुदरा विक्रेताओं को एक साथ लाकर बाजार में कृषि उत्पादन को जोड़ने के लिए एक तंत्र प्रदान करता है ताकि मूल्य संवर्धन को अधिकतम किया जा सके. जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो और विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा हों.
एक मेगा फूड पार्क में आमतौर पर आपूर्ति श्रृंखला की आधारिक संरचना होती है जिसमें संग्रह केंद्र, प्राथमिक प्रसंस्करण केंद्र, केंद्रीय प्रसंस्करण केंद्र, कोल्ड चेन सहित उद्यमियों के लिए खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के लिए लगभग 25-30 पूरी तरह से विकसित भूखंड होते हैं.
मेगा फूड पार्क योजना का कार्यान्वयन
मेगा फूड पार्क योजना का कार्यान्वयन विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) तंत्र के माध्यम से किया जा रहा है जिसमें सरकारी एजेंसियां, वित्तीय संस्थान / बैंक, संगठित खुदरा विक्रेता, खाद्य प्रोसेसर, सेवा प्रदाता, उत्पादक, किसान संगठन हिस्सेदार हैं.
यह योजना खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के दायरे में है. प्रत्येक फूड पार्क में लगभग 30-35 खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां, 250 करोड़ रुपये का कुल निवेश, लगभग 450-500 करोड़ रुपये का वार्षिक कारोबार और लगभग 30,000 व्यक्तियों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार की उम्मीद है.
हालांकि यह योजना 2008 में शुरू की गई थी, लेकिन 2014 तक केवल दो मेगा फूड पार्कों को चालू किया गया था. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, केंद्र सरकार ने 42 मेगा फूड पार्कों को वित्त पोषित किया है और 17 मेगा फूड पार्कों को चालू किया है.
प्रत्येक राज्य में मेगा फूड पार्क की स्थिति की सूची:
राज्य | आवंटन | परिचालन |
आंध्रप्रदेश | 3 | 2 |
अरुणाचल प्रदेश | 1 |
|
असम | 1 | 1 |
बिहार | 1 |
|
छत्तीसगढ़ | 1 |
|
गुजरात | 2 | 1 |
हरियाणा | 2 |
|
हिमाचल प्रदेश | 1 | 1 |
जम्मू कश्मीर | 1 |
|
कर्नाटक | 2 | 1 |
केरल | 2 |
|
मध्यप्रदेश | 2 | 1 |
महाराष्ट्र |