हैदराबाद: वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर शुक्रवार को सरकार द्वारा जारी की जाएगी. विभिन्न रिपोर्टों, एजेंसियों और विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि वित्त वर्ष 20 की पहली तिमाही के 5 फीसदी की तुलना में दूसरी तिमाही में विकास दर कम होगी.
उदाहरण के लिए, देश के प्रमुख ऋणदाता एसबीआई ने अपनी रिपोर्ट में दूसरी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 4.2 प्रतिशत आंकी है. एशियाई विकास बैंक (एडीबी), विश्व बैंक, ओईसीडी, आरबीआई और आईएमएफ सहित अन्य वैश्विक एजेंसियों ने भी विकास दर में गिरावट दर्ज की है.
बेरोजगारी दर, कम खपत और बैंकों के एनपीए जैसे घरेलू कारकों के अलावा, अमेरिका और चीन के बीच व्यापार तनाव भी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का कारण है.
क्या कहते हैं संकेतक?
- देश की जीडीपी नीचे की ओर है. अप्रैल-जून 2018 में 8 फीसदी की वृद्धि के मुकाबले इस साल समान अवधि में यह 5 फीसदी की गिरावट पर था, जो कि छह साल के निचले स्तर पर है. इससे नीति निर्माताओं और उद्योगपतियों के बीच खतरे की घंटी बज गई है
- अक्टूबर में लगातार तीसरे महीने भारत का निर्यात 1.11 प्रतिशत गिरकर 26.38 डॉलर हो गया. आयात भी 16.31 प्रतिशत घटकर 37.39 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया, जो कि व्यापार घाटे को 11 बिलियन अमरीकी डॉलर तक सीमित कर दिया.
- औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) या कारखाने के उत्पादन में 4.3 प्रतिशत की गिरावट आई है, जो लगभग आठ वर्षों में सबसे कम है.
- खुदरा मूल्य आधारित उपभोक्ता मुद्रास्फीति (सीपीआई) अक्टूबर में 16 महीने के उच्च स्तर 4.62 प्रतिशत पर पहुंच गई.
- थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) अक्टूबर में 40 महीने के निचले स्तर 0.16 प्रतिशत पर आ गया.
- आईएचएस मार्किट के अनुसार, इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) अक्टूबर में दो साल के निचले स्तर 50.6 पर आ गया.
- सितंबर में अनुबंध के अनुसार आठ कोर इंफ्रास्ट्रक्चर उद्योगों का उत्पादन 5.2 प्रतिशत था, जो कि दशक में सबसे कम था.
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