नई दिल्ली: उद्योग जगत ने वित्त वर्ष 2019-20 की मार्च तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर ग्यारह साल के निचले स्तर पर आ जाने पर चिंता व्यक्त की है हालांकि वे इस बात को लेकर आशावान हैं कि छह से नौ महीने में अर्थव्यवस्था वृद्धि की राह पर लौट जायेगी.
पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के शुक्रवार को जारी आंकड़ों पर प्रतिकिया व्यक्त करते हुए उद्योग एवं वाणिज्य संगठन पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष डॉ डी.के. अग्रवाल ने कहा कि पिछले कुछ सप्ताह में सरकार ने कई सुधार किये हैं.
उन्होंने कहा, "हम इस बात को लेकर आशावान हैं कि पिछले कुछ समय में सरकार के द्वारा किये गये सुधारों के दम पर वित्त वर्ष 2020-21 के उत्तरार्द्ध में आर्थिक वृद्धि दर में सुधार होने लगेगा. सरकार ने कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को राहत पहुंचाने के लिये सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 10 प्रतिशत के बराबर का पैकेज घोषित किया है. यह पैकेज हमें वापस वृद्धि की राह पर ले आयेगा."
सीआईआई दिल्ली के चेयरमैन आदित्य बेरलिया ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण उत्पन्न आर्थिक मुश्किलें इस साल की दूसरी छमाही में हल होने लगेंगी.
उन्होंने कहा, "यह भारत के लिये अभूतपूर्व संकट है और दशकों में ऐसी परिस्थितियां सामने नहीं आयी हैं. इसके कारण उद्योग की कुछ श्रेणियों में पांच से 15 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है. सरकार ने मध्यम अवधि में सुधार करने वाले कदम उठाये हैं. हमारा मानना है कि इस साल की दूसरी छमाही में चीजें सुधरने लगेंगी. हालांकि हमें सरकार से कुछ ऐसे उपायों की उम्मीद है, जो उद्योग जगत को छह महीने में नहीं बल्कि अगले सप्ताह से मदद करने लगें."
निर्यातकों के संगठन ईईपीसी इंडिया के चेयरमैन रवि सहगल ने कहा कि निर्यात क्षेत्र भारत की जीडीपी में 19 प्रतिशत से अधिक योगदान देता है.