नई दिल्ली:भारतीय उद्योग जगत और विशेषज्ञों का मानना है कि कोविड-19 महामारी के बाद आर्थिक पुनरुद्धार को बढ़ावा देने के लिये रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरों को यथावत बनाये रखने का निर्णय लिया है.
विशेषज्ञों ने रिजर्व बैंक से निकट भविष्य में नीतिगत रुख नरम बनाये रखने की भी उम्मीद जाहिर की. रिजर्व बैंक ने खुदरा मुद्रास्फीति के ऊंचे स्तर को देखते हुए शुक्रवार को लगातार तीसरी बैठक में नीतिगत दरों को यथावत बनाये रखा.
रिजर्व बैंक ने कहा कि अर्थव्यवस्था तेजी से वापसी कर रही है और इसी तिमाही में वृद्धि की राह पर लौट आयेगी. रिजर्व बैंक के गवर्नर ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद कहा कि रेपो दर चार प्रतिशत पर यथावत रहेगी.
इससे पहले जनवरी से अगस्त के दौरान रेपो दर में 1.15 प्रतिशत की कटौती जा चुकी है.
उद्योग एवं वाणिज्य संगठन फिक्की की अध्यक्ष संगीता रेड्डी ने कहा, "चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही को लेकर पूर्वानुमान में पर्याप्त सुधार हुआ है. यह उत्साहजनक है, लेकिन अर्थव्यवस्था को कोविड-19 ने जिस तरह से प्रभावित किया है, उसे देखते हुए हम आरबीआई और सरकार दोनों से नीतिगत समर्थन की उम्मीद कर रहे हैं."
सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि वृद्धि की गति को बढ़ावा देने के लिये सहारे की जरूरत को देखते हुए यह आरबीआई द्वारा लिया गया सही निर्णय है.
उन्होंने कहा, "आरबीआई वित्तीय बाजारों में पर्याप्त तरलता की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये सभी साधनों का उपयोग करने की इच्छा से उद्योग को बढ़ावा दे रहा है."