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चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा बीते वित्त वर्ष में घटकर 48.66 अरब डॉलर पर - भारत

आंकड़ों के अनुसार बीते वित्त वर्ष में चीन से आयात 65.26 अरब डॉलर रहा, जबकि चीन को निर्यात 16.6 अरब डॉलर रहा. इससे पहले 2018-19 में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 53.56 अरब डॉलर और 2017-18 में 63 अरब डॉलर रहा था.

चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा बीते वित्त वर्ष में घटकर 48.66 अरब डॉलर पर
चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा बीते वित्त वर्ष में घटकर 48.66 अरब डॉलर पर

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Published : Jul 2, 2020, 9:16 PM IST

नई दिल्ली: चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा बीते वित्त वर्ष 2019-20 में घटकर 48.66 अरब डॉलर रह गया. सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है.

आंकड़ों के अनुसार बीते वित्त वर्ष में चीन से आयात 65.26 अरब डॉलर रहा, जबकि चीन को निर्यात 16.6 अरब डॉलर रहा. इससे पहले 2018-19 में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 53.56 अरब डॉलर और 2017-18 में 63 अरब डॉलर रहा था.

चीन से भारत मुख्य रूप से घड़ियों, संगीत उपकरणों, खिलौनों, खेल के सामान, फर्नीचर, गद्दों, प्लास्टिक, इलेक्ट्रिकल मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, रसायन, लौह एवं इस्पात के सामान, उर्वरकों, खनिज ईंधन और धातुओं का आयात करता है.

भारत समय-समय पर चीन के साथ ऊंचे व्यापार घाटे के मुद्दे को उठाता रहा है. चीन के आयात पर निर्भरता घटाने के लिए सरकार तकनीकी नियमन और गुणवत्ता नियम बना रही है.

चीन द्वारा भारतीय बाजार में औसत दाम से कम पर डंप किए गए उत्पादों पर सरकार ने डंपिंग रोधी शुल्क भी लगाया है. सरकार ने तकनीकी नियमनों के लिए 371 उत्पादों को चिह्नित किया है. इनमें से 150 उत्पादों के लिए तकनीकी नियमन बना दिए गए हैं.

इन उत्पादों का आयात करीब 47 अरब डॉलर रहता है. पिछले एक साल के दौरान 50 से अधिक गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यूसीओ) और अन्य तकनीकी नियमनों को अधिसूचित किया गया है.

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इनमें इलेक्ट्रॉनिक्स सामान, खिलौने, एयर कंडीशनर, साइकिल पुर्जे, रसायन, सेफ्टी ग्लास, प्रेशर कूकर, स्टील का सामान और केबल जैसे इलेक्ट्रिकल उत्पाद शामिल हैं.

भारत के कुल आयात में चीन का हिस्सा 14 प्रतिशत है. मोबाइल फोन, दूरसंचार, बिजली, प्लास्टिक के खिलौने तथा महत्वपूर्ण फार्मा सामग्री बाजार में चीन प्रमुख आपूर्तिकर्ता है.

आंकड़ों के अनुसार इसी तरह 2019-20 में चीन से भारत को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) घटकर 16.37 करोड़ डॉलर रह गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 22.9 करोड़ डॉलर था.

भारत को पड़ोसी देश से 2017-18 में 35.02 करोड़ डॉलर और 2016-17 में 27.72 करोड़ डॉलर का एफडीआई मिला था.

(पीटीआई-भाषा)

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