नई दिल्ली: आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा किए गए उपायों से चालू वित्त वर्ष के अंत में भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार दिखने की उम्मीद है. एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है.
डीएंडबी इकोनॉमी ऑब्जर्वर रिपोर्ट के मुताबिक, औद्योगिक उत्पादन में धीरे-धीरे तेजी आएगी और सितंबर-अक्टूबर में त्योहारी सीजन के दौरान इसमें सुधार आने की उम्मीद है.
डन एंड ब्रैडस्ट्रीट इंडिया के मुख्य अर्थशास्त्री अरुण सिंह ने कहा, "आर्थिक सुस्ती वास्तविक है और इसे लेकर सावधान रहने की जरूरत है, लेकिन इसे लेकर अफरा-तफरी दिखाना भी 'जल्दबाजी' होगी."
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उन्होंने कहा कि इस समय इतनी बड़ी आर्थिक सुस्ती नहीं है, जितनी कि 2009 में वैश्विक वित्तीय संकट और 2012 में कर्ज संकट के दौरान थी. सिंह ने कहा कि निवेश की दर धीमी पड़ना "चिंता" का विषय है. इसके अलावा कारोबार को लेकर कम आशा, कंपनियों के निवेश पर कम रिटर्न निवेश में सुधार की गति के लिए जोखिम है.
सरकार की ओर से कॉरपोरेट कर में कटौती समेत अन्य उपायों से कारोबारी धारण में सुधार की उम्मीद है और यह कंपनियों को अपनी पूंजीगत खर्च योजनाओं पर आगे बढ़ने में मदद करेगा.
सिंह ने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि 2019-20 के अंत से अर्थव्यवस्था में सुधार शुरू हो जाएगा. भारतीय रिजर्व बैंक के नीतिगत दर में कटौती का फायदा ग्राहकों को पहुंचाने के लिए किए गए उपायों और मौजूदा दिक्कतों को दूर करने के लिए उठाए गए कदमों से मदद मिलेगी."
फिर भी, उन्होंने कहा कि घरेलू और वैश्विक स्तर पर उभरती विभिन्न चुनौतियों को देखते हुये, यह काफी कुछ ऐसा लगता है कि जो सुस्ती दिखाई दे रही है वह जितना पहले समझा जा रहा था उससे कुछ लंबी खिंच सकती है. "हमारा मानना है कि अर्थव्यवसथा में चालू वित्त वर्ष के आखिर में सुधार आने लगेगा."