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आगामी तिमाहियों में भारत की आर्थिक वृद्धि दर मजबूत रहेगी : S&P

रेटिंग एजेंसी एस एंड पी के मुताबि, चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 9.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है जबकि अगले वित्त वर्ष 2022-23 में यह 7 प्रतिशत रह सकती है. आने वाले समय में राजकोषीय मजबूती सुनश्चित करने के लिये बाजार मूल्य पर ऊंची जीडीपी वृद्धि दर महत्वपूर्ण होगी.

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Published : Sep 8, 2021, 6:32 PM IST

भारत की आर्थिक वृद्धि दर
भारत की आर्थिक वृद्धि दर

नई दिल्ली :भारत की आर्थिक वृद्धि दर आने वाली तिमाहियों में मजबूत रहेगी. हालांकि, खाद्य वस्तुओं के दाम में तेजी के साथ मुद्रस्फीति ऊंची रह सकती है. साख निर्धारण एजेंसी एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्स ने बुधवार को यह कहा.

एजेंसी के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 9.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है जबकि अगले वित्त वर्ष 2022-23 में यह 7 प्रतिशत रह सकती है. आने वाले समय में राजकोषीय मजबूती सुनश्चित करने के लिये बाजार मूल्य पर ऊंची जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर महत्वपूर्ण होगी.

एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्स के निदेशक (सरकारी) एंड्रयू वूड ने कहा, 'भारत के राजकोषीय घाटे की कमजोर स्थिति और जीडीपी के मुकाबले कर्ज 90 प्रतिशत के करीब पहुंचने को देखते हुए राजकोषीय स्थिति में और गिरावट को रोकने और इसे कुछ हद तक सुदृढ़ करने के लिये बाजार मूल्य पर जीडीपी वृद्धि दर महत्वपूर्ण है.'

उन्होंने कहा कि राजकोषीय घाटा अगले दो साल तक ऊंचा बना रहेगा लेकिन कर्ज/जीडीपी अनुपात स्थिर होने का अनुमान है. वूड ने कहा कि महामारी के संदर्भ में भारत की बाह्य स्थिति मजबूत हुई है और देश ने विदेशी मुद्रा भंडार रिकार्ड गति से जुटाया है.

उन्होंने कहा, 'भारत की बाह्य स्थिति काफी मजबूत है और इस तथ्य के बावजूद कि राजकोषीय स्थिति बिगड़ी है, देश की सरकारी साख के लिहाज से यह काफी मददगार है.'

'इंडिया क्रेडिट स्पॉटलाइट 2021' में एस एंड पी के अर्थशास्त्री (एशिया प्रशांत) वी राणा ने कहा, 'हम तीसरी और चौथी तिमाही में मजबूत आर्थिक वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं.'

उन्होंने कहा कि महामारी की दूसरी लहर आर्थिक गतिविधियों के लिहाज अच्छी नहीं रही. परिवार प्रभावित हुए हैं ... परिवार अपनी जमा-पूंजी को दुरूस्त करने पर ध्यान देंगे और खर्च पर लगाम लगाएंगे. इसका मतलब है कि आर्थिक पुनरूद्धार के साथ गतिविधियां इसके अनुरूप नहीं होंगी.'

देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में पिछले साल की इसी अवधि में तुलनात्मक आधार कमजोर होने से 20.1 प्रतिशत रही है. इससे पिछली तिमाही जनवरी से मार्च 2021 में वृद्धि दर 1.6 प्रतिशत रही थी. राणा ने कहा कि मुद्रास्फीति तय लक्ष्य के दायरे के उच्च स्तर पर है. इसका मतलब है कि केंद्रीय बैंक की महंगाई दर पर नजर होगी.

यह भी पढ़ें- भारत के लिए अच्छी खबर, अप्रैल-जून तिमाही में 20.1% रही आर्थिक वृद्धि दर

भारतीय रिजर्व बैंक को महंगाई दर 2 प्रतिशत घट-बढ़ के साथ 4 प्रतिशत के स्तर पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है. एस एंड पी ने स्थिर परिदृश्य के साथ भारत को निवेश की सबसे निचली रेटिंग 'बीबीबी-' में रखा है.

(पीटीआई-भाषा)

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