नई दिल्ली: पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियम ने एक शोध पत्र में सरकार की आत्मनिर्भर भारत पहल की आलोचना की है. उन्होंने लिखा है कि भारत को घरेलू बाजार को लेकर गुमराह करने वाले प्रलोभन से बचना चाहिए और पूरी शक्ति के साथ निर्यात को बढ़ावा देना चाहिए.
उन्होंने यह शोध पत्र पेंसिलवेनिया स्टेट यूनवर्सिटी के प्रोफेसर सुमित्रो चटर्जी के साथ मिलकर लिखा है.
इसमें कहा गया है कि भारत आत्मकेंद्रित हो रहा है. घरेलू मांग, निर्यात से ज्यादा महत्वपूर्ण होती जा रही है तथा व्यापार पाबंदियां बढ़ रही हैं. तीन दशक से जारी (बाह्य उदारीकरण की) प्रवृत्ति पलट रही है.
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इंडियाज इनवार्ड (री) टर्न: इज इट वारेंटेड? विल इट वर्क (भारत का अंतर्मुखी मोड़: कितना उचित?) शीर्षक से इस परचे में कहा गया है, "भारत को घरेलू बाजार को लेकर गुमराह करने वाले प्रलोभन से बचना चाहिए और पूरी शक्ति से निर्यात को बढ़ावा देना चाहिए."
इसमें कहा गया है कि निर्यातोन्मुख रुख में ढिलाई या उसे छोड़ना ठीक वैसा ही होगा जैसा कि सोने के अंडे देने वाली मुर्गी को मारना. "...वास्तव में आत्मनिर्भरता को अपनाना भारतीय अर्थव्यवस्था को औसत दर्जे की अर्थव्यवस्था की ओर ले जाने का रास्ता है."