नई दिल्ली: देश का गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी क्षेत्र आसन्न संकट के मुहाने पर खड़ा है. कुछ बड़ी कंपनियों द्वारा की गयी गडबड़ियों और रिण की तंगी से इस क्षेत्र के ध्वस्त होने का फार्मूला तैयार हो चुका है. सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह कहा.
हाल के महीनों में विभिन्न कारोबार से जुड़े आईएलएंडएफएस समूह में संकट के साथ-साथ कुछ अन्य बड़ी कंपनियों द्वारा कर्ज लौटाने में असफल रहने से देश की वित्तीय प्रणाली विभिन्न समस्याओं से गुजर रही है.
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कॉरपोरेट मामलों के सचिव इंजेती श्रीनिवास ने पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी क्षेत्र ऋण की कमी, अधिक उधारी तथा कुछ बड़ी कंपनियों की गलतियों का खामियाजा भुगत रहा है.
उन्होंने कहा, "एनबीएफसी क्षेत्र के समक्ष आसन्न संकट है. ऋण की तंगी, क्षमता का अधिक फायदा उठाना, किसी एक चीज पर ज्यादा केंद्रित होना, संपत्ति तथा देनदारी के बीच अंतर बढ़ना तथा कुछ बड़ी इकाइयों की गड़बड़ियों से क्षेत्र में बिगाड़ का उपयुक्त फार्मूला बन चुका है."
हालांकि, उन्होंने कहा कि जो जिम्मेदार कंपनियां हैं वह बेहतर तरीके से जोखिम प्रबंधन कर रही हैं और खतरनाक स्थिति में नहीं हैं. श्रीनिवास ने यह भी कहा कि मौजूदा स्थिति कंपनी संचालन के तौर तरीकों का परीक्षण भी है.
उन्होंने कहा, "यह एक निर्धारक क्षण है. जिस तरीके से चीजें आगे बढ़ रही है, मध्यम से दीर्घकाल में यह बेहतर होगी, पर अल्पकाल में कुछ समस्याएं हो सकती हैं."
श्रीनिवास ने कहा, "अगर आप जिम्मेदार है, आप जोखिम का प्रबंधन करते हैं. देश में कई कंपनियां हैं जिनकी कंपनी संचालन व्यवस्था मजबूत है, वे जोखिम लेती हैं, लेकिन उसका प्रबंधन भी बेहतर तरीके से करती हैं. इसीलिए उन्हें वैसी खतरनाक स्थिति का सामान नहीं करना पड़ता जैसा कि कुछ को आज करना पड़ रहा है."