नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने विभिन्न राज्यों द्वारा श्रम कानून में फेरबदल और निलंबन पर चिंता व्यक्त की है. साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भारत की अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को बनाए रखने के लिए इस मामले में राज्यों को स्पष्ट संदेश भेजने और प्रभावी सामाजिक संवाद कायम करने के लिए भी कहा है.
इंटक, एटक, सीटू, एआईयूटीयूसी जैसे 10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने इस बारे में 14 मई को अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की थी.
आईएलओ ने 22 मई को भेजे अपने जवाब में कहा, "वह केंद्रीय श्रमिक संगठनों को भरोसा दिलाना चाहता है कि इस मामले में आईएलओ के महानिदेशक ने तत्काल हस्तक्षेप किया है. इस बारे में प्रधानमंत्री के समक्ष गहरी चिंता व्यक्त की गयी है. साथ ही उनसे केंद्र शासित प्रदेशों और राज्य सरकारों को भारत की अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को अक्षुण्ण रखने के लिए स्पष्ट संदेश भेजने का आग्रह भी किया गया है. उनसे इसे लेकर एक प्रभावी सामाजिक संवाद को प्रोत्साहन देने का भी अनुरोध किया गया है."
केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने राज्य सरकारों द्वारा श्रम कानूनों के निलंबन या उनमें फेरबदल कर अंतरराष्ट्रीय श्रम मानकों के मुकाबले कमजोर करने के मामले में आईएलओ के महानिदेशक से तत्काल हस्तक्षेप करने की अपील की थी. भारत ने आईएलओ के साथ कई संधियों पर हस्ताक्षर किए हैं. यह संधियां देश के मौजूदा कानूनी ढांचे और नियम-कानूनों के अनुरूप हैं.