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आरबीआई एमपीसी मीट: शक्तिकांत दास द्वारा कही गई मुख्य बातें

रिजर्व बैंक ने इस समीक्षा में नीतिगत दर रेपो को 5.15 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है. साथ ही कहा है कि आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए वह भविष्य में अपने रुख को उदार बनाए रखेगा. पढ़िए शक्तिकांत दास द्वारा कही गई मुख्य बातें...

आरबीआई एमपीसी मीट: शक्तिकांत दास द्वारा कही गई मुख्य बातें
आरबीआई एमपीसी मीट: शक्तिकांत दास द्वारा कही गई मुख्य बातें

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Published : Dec 5, 2019, 5:50 PM IST

मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक ने बृहस्पतिवार को मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं किया. केन्द्रीय बैंक ने मुख्य दर रेपो को 5.15 प्रतिशत पर बरकरार रखते हुये अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के वास्ते अपने रुख को उदार बनाये रखा है.

केंद्रीय बैंक ने इसके साथ ही 2019-20 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर का अनुमान एक प्रतिशत से ज्यादा घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया. इससे पहले अक्टूबर में जारी मौद्रिक नीति समीक्षा में यह अनुमान 6.1 प्रतिशत पर था.

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सब्जियों के दाम बढ़ने पर रिजर्व बैंक ने दूसरी छमाही के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान बढ़ाया
भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के लिए अपने मुद्रास्फीति के अनुमान को बढ़ाकर 5.1-4.7 प्रतिशत कर दिया है. मुख्य रूप से प्याज और टमाटर जैसी सब्जियों की कीमतों में उछाल को देखते हुये केंद्रीय बैंक ने मुद्रास्फीति का अनुमान बढ़ाया है.
केंद्रीय बैंक ने कहा कि दूध, दालों और चीनी जैसे खाद्य उत्पादों में कीमतों पर जो शुरुआती दबाव दिख रहा है, वह अभी कायम रहेगा. इससे खाद्य मुद्रास्फीति प्रभावित होगी. अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 4.6 प्रतिशत पर पहुंच गई. मुख्य रूप से खाद्य वस्तुएं महंगी होने से खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ी है.

बैंकों से गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को कर्ज मिलने में आया सुधार
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को बैंकों से ऋण मिलने की स्थिति में सुधार हुआ है. उन्होंने भरोसा दिया कि केंद्रीय बैंक किसी भी बड़े एनबीएफसी को डूबने नहीं देगा.
आवास वित्तपोषण क्षेत्र की कंपनी डीएचएफएल का नाम लिए बगैर दास ने कहा कि किसी गैर-बैंकिंग कंपनी का सबसे बेहतर आकलन नियामक कर सकता है. उन्होंने इस तरह की इकाई को राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में ले जाने को व्यावहारिक कदम बताया.

नीतिगत दर में हर बार नहीं की जा सकती कटौती
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने नीतिगत दर को अपरिवर्तित रखे जाने के बाद बृहस्पतिवार को कहा कि इसमें हर बार मशीनी तौर पर कटौती नहीं की जा सकती है. उन्होंने कहा कि नीतिगत दरों के बारे में कोई निर्णय लेने से पहले आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये पिछले कुछ महीनों में केंद्र सरकार तथा रिजर्व बैंक द्वारा किये गये उपायों के समग्र प्रभाव को देखने की जरूरत है.
उन्होंने मौद्रिक नीति समिति के उस विश्लेषण की ओर इशारा किया जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि अभी नीतिगत दर में कटौती की गुंजाइश बनी हुई है.दास ने कहा कि अर्थव्यवस्था में बेहतरी दिखी है, लेकिन अभी यह कहना जल्दीबाजी होगी यह कितनी देर तक मौजूद रहने वाली है.

पीएमसी बैंक घोटाले पर फॉरेंसिक आडिट रिपोर्ट इस माह के अंत तक
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने कहा है कि पीएमसी बैंक घोटाले पर फॉरेंसिक आडिट रिपोर्ट इस माह के अंत तक आने की उम्मीद है.
रिजर्व बैंक ने सहकारी बैंक क्षेत्र के बेहतर तरीके से नियमन को नियमनों में बदलाव के बारे में भी सुझाव दिए हैं. उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैक ने 23 सितंबर को पीएमसी बैंक में प्रशासक नियुक्त करते हुये ग्राहकों द्वारा नकदी की निकासी की भी सीमा तय की थी. उसके बाद से निकासी की सीमा में कई बार बदलाव किया गया है.

निजी तौर पर जारी डिजिटल मुद्रा को नहीं दी जा सकती मंजूरी
रिजर्व बैंक ने देश में किसी निजी तौर पर जारी की जाने वाली डिजिटल मुद्रा को चलाने की मंजूरी दिये जाने की संभावना को बृहस्पतिवार को पूरी तरह से नकार दिया. हालांकि, रिजर्व बैंक डिजिटल मुद्रा जारी करने के मुद्दे पर गौर कर रहा है.
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने डिजिटल मुद्रा के बारे में पूछे जाने पर कहा कि प्रौद्योगिकी दिक्कतों के चलते रिजर्व बैंक द्वारा इस तरह की मुद्रा पेश करने के बारे में अभी कुछ कह पाना जल्दबाजी होगी.

नीतिगत दर में कटौती का लाभ बैंक ग्राहकों तक पहुंचने की गति से रिजर्व बैंक संतुष्ट
बैंकों की ओर से नीतिगत दर में कटौती का लाभ ग्राहकों तक पहुंचाने का काम समुचित रूप से बेहतर रहा है. भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बृहस्पतिवार को कहा कि केंद्रीय बैंक इसको लेकर संतुष्ट है. दास ने कहा कि नीतिगत दरों में कटौती का लाभ लोगों तक पहुंचाना लंबे समय से केंद्रीय बैंक को परेशान करता रहा है, लेकिन अब बैंकों द्वारा अपनी कर्ज की ब्याज दरों को किसी बाहरी मानक से जोड़ने की शुरुआत के बाद इसके बेहतर होने की उम्मीद है.उन्होंने कहा कि नए ऋणों पर ब्याज दर में औसतन 0.44 प्रतिशत की कमी आयी है.

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