यमुनानगरः कोरोना के मद्देनजर लॉकडाउन के चलते देश और प्रदेश में तमाम उद्योग और फैक्ट्रियां बंद हैं. जिसका असर यमुनानगर में भी दिख रहा है. यमुनानगर जिले के प्लाईवुड उद्योग में अपनी गड़गड़ाहट से शोर मचाने वाली मशीनें लॉकडाउन के चलते आज शांत पड़ी हैं.
प्लाईवुड इंडस्ट्री को हो रहा करोड़ों का नुकसान
यमुनानगर में एशिया की सबसे बड़ी प्लाईवुड इंडस्ट्री है, यहां पर छोटी और बड़ी लगभग 650 प्लाईवुड की फैक्ट्रियां हैं. जिनमें पचास हजार से ज्यादा मजदूर काम करते हैं. यमुनानगर जिले में बोर्ड की 370 यूनिट हैं, इसके अलावा पीलिंग, आरा और चिप्पर की 800 के करीब यूनिट हैं. जहां से लकड़ी का सामान बनाकर उन्हें देश और विदेशों में भी सप्लाई किया जाता है और सरकार को करीब 2,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिलता है. ऐसे में लॉकडाउन के दौरान फैक्ट्रियां बंद होने से उद्योगों को अरबों का नुकसान हो रहा है.
सरकार से राहत की मांग कर रहे उद्योगपति
यमुनानगर जिले के प्लाईवुड एसोसिएशन के प्रधान जेके बिहानी ने कहा कि प्लाईवुड इंडस्ट्री को होने वाले नुकसान का आंकलन करना मुश्किल है. लेकिन इस नुकसान से निकालने के लिए उन्होंने राज्य और केंद्र सरकारों से कुछ राहत की मांग की.
- राज्य सरकार बिजली के बिलों में कुछ रियायत दे या उसकी अदायगी जमा करवाई गई सिक्योरिटी से कर लें.
- केंद्र सरकार बैंकों के लोन की किस्त 6 महीने के लिए पेंडिंग करे और लॉकडाउन पीरियड का ब्याज माफ करे.
- लॉकडाउन का असर अगले मार्च तक देखने को मिलेगा. इसलिए सरकार बैंक रेट पर 4 फीसदी की सब्सिडी दे और जीएसटी की दरें कम करे, ताकि प्रोडक्ट की डिमांड बढ़े और इस उद्योग में रोजगार को उसी लेवल पर रखा सके, जहां पर लॉकडाउन से पहले था.