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जीएसटी और पीएम किसान की वजह से राजकोषीय घाटे में मामूली गिरावट: वित्त मंत्रालय - जीएसटी और पीएम किसान की वजह से राजकोषीय घाटे में मामूली गिरावट

जीएसटी और देश में कृषि की स्थिति के कारण 0.1 प्रतिशत अंकों का मामूली गिरावट आई थी. संशोधित लक्ष्य के मुकाबले, 2018-19 के लिए वास्तविक राजकोषीय घाटा 6,45,367 करोड़ रुपये था.

जीएसटी और पीएम किसान की वजह से राजकोषीय घाटे में मामूली गिरावट: वित्त मंत्रालय

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Published : Nov 23, 2019, 2:44 PM IST

Updated : Nov 23, 2019, 3:21 PM IST

नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय के एक बयान में बताया गया कि वित्त वर्ष 2018-19 में जीएसटी और खराब कृषि स्थिति के कारण राजकोषीय घाटे में 0.1 प्रतिशत की गिरावट आई है जिससे ये 3.4 प्रतिशत पर पहुंच गया है.

बजट 2018-19 में राजकोषीय घाटा अनुमानित 6,24,276 करोड़ रुपये (अनुमानित जीडीपी का 3.3 प्रतिशत) था. जिसे बाद में इसे 6,34,398 करोड़ रुपये (जीडीपी का 3.4 प्रतिशत) पर पुनर्गठित किया गया था.

जीएसटी और देश में कृषि की स्थिति के कारण 0.1 प्रतिशत अंकों का मामूली गिरावट आई थी. संशोधित लक्ष्य के मुकाबले, 2018-19 के लिए वास्तविक राजकोषीय घाटा 6,45,367 करोड़ रुपये था.

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इसके आलावे किसानों को कृषि अर्थव्यवस्था में होने वाले परिवर्तनों के प्रबंधन के लिए समर्थन की आवश्यकता थी. सरकार को इस क्षेत्र में संकट को कम करने के लिए इन परिवर्तनों को संबोधित करके के किसानों को सहायता प्रदान करनी चाहिए.

इन कारणों से सरकार के वित्तीय घाटे के लक्ष्य में मामूली बदलाव हुआ. साल 2018-19 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 3.3 प्रतिशत था. जो कि बाद में संशोधित कर 3.4 प्रतिशत कर दिया गया.

हालांकि मंत्रालय ने किसानों की सहायता योजना का नाम नहीं लिया. लेकिन यह पीएम किसान योजना थी, जिसके तहत सरकार ने छोटे किसानों के लिए आय सहायता की घोषणा की थी और कृषि मंत्रालय के लिए आवंटन 2018-19 में 57,600 करोड़ रुपये से बढ़कर 2019-20 में इसे 1.41 ट्रिलियन रुपये कर दिया.

प्रधानमंत्री किसान निधि या पीएम-किसान योजना का उद्देश्य 120 मिलियन किसान परिवारों को सम्मान के साथ जीने में मदद करना था. इसके अलावा खेती की लागत का भुगतान करने और कर्ज कम करने में मदद करना शामिल है. इस योजना की लागत 2018-19 में 20,000 करोड़ रुपये था और 2019-20 में 75,000 करोड़ रुपये कर दिया गया.

छोटे और सीमांत किसान जिनके पास पांच एकड़ से कम जमीन है, उन्हें हर साल 2,000 रुपये की तीन किस्तें मिलेंगी या एक साल में 6,000 रुपये मिलेंगे.

साल 2018-19 के अर्धवार्षिक में देश का थोक मूल्य सूचकांक 3.3 प्रतिशत है जो कि 2019-19 के पहले अर्धवार्षिक में 4.9 प्रतिशत था.

केंद्र की राजस्व प्राप्ति 15,63,170 करोड़ रुपये थी, जो पिछले वर्ष की तुलना में 9.3 प्रतिशत अधिक है.

वर्ष 2018-19 के दौरान कुल व्यय 23,11,422 करोड़ हुआ, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 7.9 प्रतिशत बढ़ा है.

पूंजीगत व्यय 3,02,959 करोड़ था और इसने पिछले वर्ष की तुलना में 15.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की.

Last Updated : Nov 23, 2019, 3:21 PM IST

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