नई दिल्ली: पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को कहा कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के राजस्व में सुधार होने पर आगे चल कर 12% और 18% दरों को मिला कर एक किया जा सकता है. इसके बाद प्रभावी रूप में यह दो दरों वाली प्रणाली बन सकती है.
देश में जीएसटी के दो वर्ष पूरे होने के अवसर पर फेसबुक पर अपने एक लेख में जेटली ने कहा कि नयी प्रणाली में 20 राज्यों के राजस्व में पहले ही 14 प्रतिशत वार्षिक से अधिक की वृद्धि हो रही है. इससे इन राज्यों को केंद्र से राजस्व क्षति पूर्ति की आवश्यकता नहीं है.
भाजपा नेता जेटली ने स्वास्थ्य लाभ के लिए नयी सरकार में कोई जिम्मेदारी नहीं ली है. उन्होंने फेसबुक पर लिखा है कि उपभोक्ताओं की जरूरत के ज्यादातर सामान अब 18%, 12% या यहां तक की 5 % कर के दायरे में ला दिए गए हैं.
जीएसटी की 12% और 18% दर के विलय के बाद यह दो दर वाली प्रणाली बन सकती है: जेटली - बिजनेस न्यूज
भाजपा नेता जेटली ने स्वास्थ्य लाभ के लिए नयी सरकार में कोई जिम्मेदारी नहीं ली है. उन्होंने फेसबुक पर लिखा है कि उपभोक्ताओं की जरूरत के ज्यादातर सामान अब 18%, 12% या यहां तक की 5 % कर के दायरे में ला दिए गए हैं.
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केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद ने पिछले दो साल में समय समय पर विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी दरें कम करने के जो निर्णय किए हैं उससे 90,000 करोड़ रुपये के राजस्व का त्याग करना पड़ा है.
उन्होंने लिखा है कि अब केवल विलासिता की चीजों और कुछ अहितकर वस्तुओं पर ही जीएसटी की सबसे ऊंची 28 प्रतिशत की दर लागू है. शून्य और 5 प्रतिशत की दरें हमेशा रहेंगी. आगे राजस्व में सुधार हुआ तो इससे नीति नियंताओं को 12% और 18% की दरों को आपस में मिला कर एक करने का अवसर मिल सकता है. इस प्रकार जीएसटी दो दरों वाली प्रणाली बन जाएगी.
उन्होंने कहा कि सभी प्रकार के माल पर दरें एक झटके से कम नहीं की जा सकतीं क्यों कि इससे सरकार को राजस्व की भारी हानि हो सकती है. यह काम तो राजस्व में वृद्धि के साथ धीरे धीरे ही किया जा कसता है.
जीएसटी एक जुलाई 2017 को लागू हुआ था. पहले वित्त वर्ष के आठ महीनों (जुलाई-मार्च 2017-18) में जीएसटी की औसत प्राप्ति प्रति माह 89,700 करोड़ रुपये रही. वर्ष 2018-19 में यह औसतन 10 प्रतिशत बढ़ कर 97,100 करोड़ रुपये मासिक पर पहुंच गई. उन्होंने कहा कि 'पांच साल बाद राजस्व का क्या होगा.'
जीएसटी में पहले पांच साल तक राज्यों को सालाना 14 प्रतिशत राजस्व वृद्धि की गारंटी दी गयी है. इसमें कमी की भरपाई केंद्र की जिम्मेदारी है. इसके लिए जीएसटी में राजस्व क्षतिपूर्ति उपकर की व्यवस्था की गयी है. जेटली ने कहा कि जीएसटी के दूसरे वर्ष में ही 20 राज्यों में राजस्व वृद्धि 14 प्रतिशत से अधिक रही है. उनके लिए राजस्व क्षतिपूर्ति कोष की जरूरत नहीं है.
जेटली ने अपने इस कथन को दोहराया है कि एक दर वाली जीएसटी व्यवस्था केवल बहुत सम्पन्न देश में ही संभव है जहां कोई गरीब नहीं है. उन्होंने कहा कि ऐसे देश जहां बड़ी संख्या में लोग गरीबी रेखा से नीचे रह रहे हों उनमें कोई एक दर रखना अनुचित होगा. जीएसटी में केन्द्र और राज्यों में लगने वाले 17 करों को शामिल किया गया है.
अप्रत्यक्ष कर की इस व्यवस्था को एक जुलाई 2017 को लागू किया गया है. इसमें फिलहाल चार दरें हैं -- 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत-- हैं. सबसे ऊंची दर में शामिल वस्तुओं में वाहनों, लक्जरी सामानों और अहितकर वस्तुओं पर 28 प्रतिशत के ऊपर उपकर भी लगाया जाता है.