नई दिल्ली: कई विपक्षी राज्यों ने गुरुवार को जीएसटी परिषद की बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तावित दो-विकल्प के फॉर्मूले पर नाराजगी जताई. जिसके कारण उन्हें इस साल अपने राजस्व संग्रह में कमी को पूरा करने के लिए रिजर्व बैंक द्वारा तैयार किए जाने वाले तंत्र के माध्यम से उधार लेना पड़ सकता है.
कम से कम दो राज्यों के वित्त मंत्री केरल के वित्त मंत्री थॉमस इस्साक और पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल ने केंद्र के प्रस्ताव के खिलाफ सार्वजनिक रूप से कहा कि यह उन थोपा जा रहा है.
हालांकि, इस मामले से जुड़े लोगों के अनुसार बिहार एक उल्लेखनीय अपवाद था क्योंकि बिहार ने बैठक की शुरुआत में ही उधार लेने के लिए अपनी इच्छा जताई थी. जब अन्य राज्यों ने केंद्र पर दबाव डाला कि वे उन्हें संवैधानिक रूप से गारंटीकृत जीएसटी बकाया का भुगतान करने के लिए उधार लें.
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जीएसटी काउंसिल की बैठक में प्रारंभिक चर्चा के विवरण से परिचित व्यक्ति ने ईटीवी भारत को बताया, "बिहार राजस्व की कमी को पूरा करने के लिए धन उधार लेने के लिए सहमत हो गया, जबकि अन्य राज्य इसके खिलाफ हैं."
अपने प्रेस संबोधन में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह भी स्वीकार किया कि जीएसटी काउंसिल की 41 वीं बैठक की शुरुआत में राज्यों ने मांग की थी कि केंद्र को जीएसटी देयताओं की संवैधानिक गारंटी का भुगतान करने के लिए धन उधार लेना चाहिए.
वित्त मंत्री का बयान इस बात की पुष्टि करता है कि राज्यों से मांग की गई थी कि केंद्र अपने संवैधानिक और कानूनी दायित्व के अनुसार जीएसटी क्षतिपूर्ति देय का भुगतान करने के लिए उधार लें.
उन्होंने कहा, "हमने उन्हें समझाया कि क्यों राज्यों के लिए ऋण लेना बेहतर होगा और लेकिन केंद्र के लिए नहीं. राज्यों को आरबीआई के जरिये कर्ज लेने को कहा गया है ताकि यह सुनिश्चित हो कि सभी राज्यों को आसानी से कर्ज मिल सके और बांड रिटर्न बढ़े नहीं. हम केंद्रीय बैंक के माध्यम से प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाएंगे.