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जीएसटी बकाया: क्या जीएसटी परिषद में राज्यों की एकता को विभाजित कर रहा है बिहार ?

दो राज्यों के वित्त मंत्री केरल के वित्त मंत्री थॉमस इस्साक और पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल ने केंद्र के प्रस्ताव के खिलाफ सार्वजनिक रूप से कहा कि यह उन थोपा जा रहा है. हालांकि, इस मामले से जुड़े लोगों के अनुसार बिहार एक उल्लेखनीय अपवाद था क्योंकि बिहार ने बैठक की शुरुआत में ही उधार लेने के लिए अपनी इच्छा जताई थी.

जीएसटी बकाया: क्या बिहार जीएसटी परिषद में राज्यों की एकता को विभाजित कर रहा है
जीएसटी बकाया: क्या बिहार जीएसटी परिषद में राज्यों की एकता को विभाजित कर रहा है

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Published : Aug 28, 2020, 12:23 PM IST

Updated : Aug 28, 2020, 1:13 PM IST

नई दिल्ली: कई विपक्षी राज्यों ने गुरुवार को जीएसटी परिषद की बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तावित दो-विकल्प के फॉर्मूले पर नाराजगी जताई. जिसके कारण उन्हें इस साल अपने राजस्व संग्रह में कमी को पूरा करने के लिए रिजर्व बैंक द्वारा तैयार किए जाने वाले तंत्र के माध्यम से उधार लेना पड़ सकता है.

कम से कम दो राज्यों के वित्त मंत्री केरल के वित्त मंत्री थॉमस इस्साक और पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल ने केंद्र के प्रस्ताव के खिलाफ सार्वजनिक रूप से कहा कि यह उन थोपा जा रहा है.

हालांकि, इस मामले से जुड़े लोगों के अनुसार बिहार एक उल्लेखनीय अपवाद था क्योंकि बिहार ने बैठक की शुरुआत में ही उधार लेने के लिए अपनी इच्छा जताई थी. जब अन्य राज्यों ने केंद्र पर दबाव डाला कि वे उन्हें संवैधानिक रूप से गारंटीकृत जीएसटी बकाया का भुगतान करने के लिए उधार लें.

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जीएसटी काउंसिल की बैठक में प्रारंभिक चर्चा के विवरण से परिचित व्यक्ति ने ईटीवी भारत को बताया, "बिहार राजस्व की कमी को पूरा करने के लिए धन उधार लेने के लिए सहमत हो गया, जबकि अन्य राज्य इसके खिलाफ हैं."

अपने प्रेस संबोधन में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह भी स्वीकार किया कि जीएसटी काउंसिल की 41 वीं बैठक की शुरुआत में राज्यों ने मांग की थी कि केंद्र को जीएसटी देयताओं की संवैधानिक गारंटी का भुगतान करने के लिए धन उधार लेना चाहिए.

वित्त मंत्री का बयान इस बात की पुष्टि करता है कि राज्यों से मांग की गई थी कि केंद्र अपने संवैधानिक और कानूनी दायित्व के अनुसार जीएसटी क्षतिपूर्ति देय का भुगतान करने के लिए उधार लें.

उन्होंने कहा, "हमने उन्हें समझाया कि क्यों राज्यों के लिए ऋण लेना बेहतर होगा और लेकिन केंद्र के लिए नहीं. राज्यों को आरबीआई के जरिये कर्ज लेने को कहा गया है ताकि यह सुनिश्चित हो कि सभी राज्यों को आसानी से कर्ज मिल सके और बांड रिटर्न बढ़े नहीं. हम केंद्रीय बैंक के माध्यम से प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाएंगे.

2017 के जीएसटी (राज्यों के लिए मुआवजा) अधिनियम के तहत यह केंद्र को पांच वर्षों के संक्रमण काल के दौरान राज्यों को उनके राजस्व संग्रह में किसी भी नुकसान की भरपाई करने के लिए बाध्य कर रहा है.

जीएसटी कानून राज्यों के राजस्व संग्रह में किसी भी कमी को पूरा करने के लिए तंत्र भी प्रदान करता है क्योंकि यह केंद्र को इस उद्देश्य के लिए कुछ अन्य लक्जरी वस्तुओं पर जीएसटी मुआवजा उपकर एकत्र करने के लिए अधिकृत करता है.

राजस्व सचिव अजय भूषण पांडे के अनुसार, इस वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में कुल जीएसटी मुआवजा राशि 1.5 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है.

केंद्र जीएसटी मुआवजे का भुगतान एक द्विमासिक आधार पर करता है. इसलिए यह राशि पहले ही देय हो गई है और सरकार के स्वयं के प्रक्षेपण के अनुसार इस वर्ष जीएसटी क्षतिपूर्ति भुगतान की आवश्यकता लगभग 3 लाख करोड़ रुपये होगी.

सरकार के अनुमान के मुताबिक, राज्यों के राजस्व संग्रह में 3 लाख करोड़ रुपये की कुल कमी के मुकाबले इस साल जीएसटी उपकर संग्रह केवल 65,000 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है.

केंद्र ने राज्यों के सामने दो विकल्प रखे हैं. वे या तो सामूहिक रूप से 97,000 रुपये उधार ले सकते हैं. राज्यों को रिजर्व बैंक से 97,000 करोड़ का स्पेशल कर्ज मिलेगा जिसपर इंट्रेस्ट रेट काफी कम लगेगा.

राज्यों के पास दूसरा विकल्प यह है कि वे क्षतिपूर्ति की पूरी राशि 2.35 लाख करोड़ रुपये विशेष उपाय के तहत कर्ज उठा लें. जिसका एक हिस्सा कोविड -19 वैश्विक महामारी के प्रतिकूल आर्थिक प्रभाव के कारण भी है.

राज्यों ने केंद्र से दोनों विकल्पों को विस्तृत रूप में देने के लिए कहा है और फिर वे इस पर अपने विचारों के साथ सात कार्य दिवसों के बाद केंद्र के पास वापस आएंगे. वित्त मंत्री ने कहा, "हम तब जीएसटी परिषद की एक छोटी बैठक कर सकते हैं."

(कृष्णानन्द त्रिपाठी, ईटीवी भारत )

Last Updated : Aug 28, 2020, 1:13 PM IST

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