नई दिल्ली: राज्यों के माल एवं सेवाकर (जीएसटी) संग्रह में आने वाली कमी की भरपाई के तौर तरीकों को लेकर जारी गतिरोध को दूर करने पर सोमवार को हुई जीएसटी परिषद की बैठक में भी कोई सर्वसम्मति नहीं बन पाई. जीएसटी पर निर्णय लेने वाला जीएसटी परिषद सर्वोच्च निकाय है.
एक सप्ताह के भीतर सोमवार को इसकी दूसरी बैठक हुई. केन्द्र सरकार द्वारा जीएसटी राजस्व की भरपाई को लेकर राज्यों के समक्ष रखे गये प्रस्ताव पर सभी राज्य एकमत नहीं हो पाये हैं. राजस्व भरपाई के मुद्दे पर यह लगातार तीसरी बैठक हैं जिसमें कोई निर्णय नहीं हो पाया.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने परिषद की सोमवार की बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि केन्द्र सरकार बाजार से कर्ज जुटाकर राज्यों के राजस्व की भरपाई नहीं कर सकती है. इससे बॉंड प्रतिफल में तेजी आ जायेगी और परिणामस्वरूप बाजार में कर्ज महंगा हो जायेगा. सरकार और निजी क्षेत्र सभी के लिये कर्ज की लागत बढ़ जायेगी.
सीतारमण ने कहा लेकिन यदि राज्य खुद भविष्य में होने वाली जीएसटी प्राप्ति के एवज में बाजार से कर्ज उठाते हैं तो उस स्थिति में ऐसा नहीं होगा. उन्होंने कहा कि 21 राज्य पहले ही केन्द्र के इस संबंध में रखे गये विकल्प पर अपनी सहमति जता चुके हैं. लेकिन कुछ राज्य इस मुद्दे पर आम सहमति से निर्णय लेने को लेकर जोर दे रहे हैं.
सीतारमण ने कहा, "हम आम सहमति नहीं बना पाये हैं."
पिछले सप्ताह पांच अक्टूबर को हुई बैठक में जीएसटी परिषद ने कार, तंबाकू और ऐसे ही कुछ अन्य विलासिता, अहितकर उत्पादों पर लगाये जाने वाले उपकर की अवधि जून 2022 के बाद भी जारी रखने पर सहमति जताई है. लेकिन राज्यों की क्षतिपूर्ति कैसे हो इसको लेकर आम सहमति नहीं बन पाई है.