नई दिल्ली:वित्त सचिव अजय भूषण पांडेय ने कहा है कि राज्यों के माल एवं सेवा कर (जीएसटी) राजस्व में कमी की भरपाई के लिए कर्ज की मात्रा इसके आर्थिक प्रभाव को देखते हुए 'उचित' रहनी चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्र विपक्ष शासित राज्यों से प्रस्तावित ऋण योजना का विकल्प चुनने का आग्रह करता रहेगा.
उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र राज्यों से यह 'आश्वासन' लेगा कि इस ऋण का भुगतान सिर्फ जीएसटी मुआवजा उपकर से किया जाएगा. भुगतान की सारिणी इस तरह से तय की जाएगी कि जून, 2022 के बाद उपकर पूल में संग्रह कर्ज के ब्याज के भुगतान के लिए पर्याप्त हो.
अभी तक 21 राज्यों और तीन संघ शासित प्रदेशों ने राज्यों के माल एवं सेवा कर संग्रह में 1.83 लाख करोड़ रुपये की भरपाई के लिए केंद्र द्वारा प्रस्तावित ऋण योजना का विकल्प चुना है.
ऋण योजना के तहत केंद्र जीएसटी के क्रियान्वयन की वजह से राजस्व में हुए नुकसान की भरपाई के लिए 1.10 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लेगा.
हालांकि, केरल, पंजाब, प. बंगाल, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों ने अभी तक केंद्र के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया है. इन राज्यों का कहना है कि केंद्र को राजस्व में समूची 1.83 लाख करोड़ रुपये की कमी की भरपाई को कर्ज लेना चाहिए.
इन राज्यों का कहना है कि 'जीएसटी क्रियान्वयन और कोविड-19' का प्रभाव जैसी वर्गीकरण गैरकानूनी और असंवैधानिक है.
पांडेय ने कहा कि जीएसटी परिषद और केंद्र तथा राज्य सरकारों सभी ने उपकर को जून, 2020 से आगे बढ़ाने का समर्थन किया है. ऐसे में मुआवजा पूरी तरह सुरक्षित है.