दिल्ली

delhi

ETV Bharat / business

जीडीपी में गिरावट अभूतपूर्व नहीं है: सरकार - राव इंद्रजीत सिंह

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने गुरुवार को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान जीडीपी की वास्तविक स्थिति के बारे में पूछे गए एक पूरक प्रश्न पर बताया, "हमारे (मंत्रालय के) मुताबिक चालू वित्त वर्ष में जीडीपी घटकर 4.5 प्रतिशत के स्तर पर आ गयी है."

business news, gdp growth rate, rao inderjit singh, gdp data, कारोबार न्यूज, जीडीपी विकास दर, राव इंद्रजीत सिंह, जीडीपी आंकड़े
जीडीपी में गिरावट अभूपपूर्व नहीं है: सरकार

By

Published : Dec 5, 2019, 9:07 PM IST

Updated : Dec 5, 2019, 10:21 PM IST

नई दिल्ली: सरकार ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर में गिरावट को सामान्य बताते हुये कहा है कि इसमें त्रैमासिक आधार पर उतार चढ़ाव आना सामान्य बात है, इसलिये चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी का घटकर 4.5 प्रतिशत रह जाना अप्रत्याशित या अभूतपूर्व नहीं है.

राज्य सभा में कार्यान्वयन मंत्री राव इंद्रजीत सिंह

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने गुरुवार को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान जीडीपी की वास्तविक स्थिति के बारे में पूछे गए एक पूरक प्रश्न पर बताया, "हमारे (मंत्रालय के) मुताबिक चालू वित्त वर्ष में जीडीपी घटकर 4.5 प्रतिशत के स्तर पर आ गयी है."

आंकड़ों की अस्पष्टता और भ्रांति को लेकर पूछे गये पूरक प्रश्न के जवाब में राव ने स्पष्ट किया कि यह अप्रत्याशित या अभूतपूर्व नहीं है. उन्होंने अतीत के अनुभवों का उदाहरण देते हुये बताया कि 2004-05 के आधार वर्ष पर साल 2008-09 में जीडीपी घटकर 3.9 प्रतिशत के स्तर पर आ गयी थी. इसके अगले ही साल यह 2009-10 में 8.5 प्रतिशत हो गयी.

उन्होंने कहा कि त्रैमासिक आधार पर भी जीडीपी में इस तरह का उतार चढ़ाव आना असामान्य नहीं है. उन्होंने कहा कि 2015 की दूसरी तिमाही में जीडीपी 8.7 प्रतिशत थी और तीसरी तिमाही में घटकर 5.9 प्रतिशत रह गयी, जबकि इसकी अगली तिमाही में यह फिर से बढ़कर 7.1 प्रतिशत हेा गयी.

ये भी पढ़ें:रिजर्व बैंक ने पी2पी ऋणदाताओं के लिए सकल ऋण की सीमा बढ़ाकर 50 लाख रुपये की

इसी तरह 2016-17 में जीडीपी पहली तिमाही में 9.4 प्रतिशत से घट कर आठ प्रतिशत रह गयी. राव ने कहा कि इसलिये एक तिमाही में जीडीपी की गिरावट चिंता की बात नहीं है, उम्मीद है कि इसमें आगे उछाल आयेगा.

राव ने जीडीपी के आकलन हेतु आधार वर्ष में बदलाव किये जाने से जुड़े एक सवाल के जवाब में कहा कि यह पहली बार नहीं हुआ है. संयुक्त राष्ट्र की प्रस्तावित प्रणाली के आधार पर इससे पहले भी 1967 से 2015 तक सात बार आधार वर्ष बदला गया है.

उन्होंने उपभोग व्यय में कमी आने को भी गलत बताते हुये कहा कि पिछले तीन साल में निजी अंतिम उपभोग व्यय (पीएफसीई) 2016-17 में 91.15 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2018-19 में 112 लाख करोड़ रुपये हो गया है.

Last Updated : Dec 5, 2019, 10:21 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details