नई दिल्ली: सरकार ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की मांग को पूरा करते हुए उन पर लगाया गया ऊंचा कर अधिभार वापस ले लिया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को यह घोषणा की. इस मामले में बजट पूर्व की स्थिति बहाल कर दी गई है.
वर्ष 2019-20 के बजट में ऊंची कमाई करने वालों पर ऊंची दर से कर अधिभार लगा दिया गया. एफपीआई भी इस बढ़े हुये अधिभार के दायरे में आ गये थे. सीतारमण ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इक्विटी शेयरों के हस्तांतरण से होने वाले दीर्घावधि और लघु अवधि के पूंजीगत लाभ पर अधिभार को वापस ले लिया गया है.
उन्होंने कहा कि बजट से पहले की स्थिति को फिर कायम कर दिया गया है. वित्त मंत्री ने कहा कि यह कदम पूंजी बाजार में निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए उठाया गया है. बजट में एफपीआई पर अधिभार बढ़ाने की घोषणा से शेयर बाजार डगमगा गए थे.
बजट में ऊंची आय कमाने वालों पर अधिभार बढ़ाने की घोषणा के बाद दो से पांच करोड़ रुपये की कर योग्य आय पर आयकर की प्रभावी दर 35.88 प्रतिशत से बढ़कर 39 प्रतिशत पर पहुंच गई. इसी तरह पांच करोड़ रुपये से अधिक की आय पर यह 42.7 प्रतिशत तक पहुंच गई.
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इससे पहले इसी महीने पूंजी बाजार के भागीदारों तथा विदेशी संस्थागत निवेशकों ने वित्त मंत्री को अपनी मांगों के समर्थन में मांग पत्र सौंपा था. इसमें एफपीआई से अधिभार वापस लेने और लाभांश वितरण कर (डीडीटी) की समीक्षा की मांग की गई थी.
सीतारमण ने कहा कि स्टार्टअप्स और उनके निवेशकों की दिक्कतों को दूर करने के लिए उनके लिए एंजल कर के प्रावधान को भी वापस लेने का फैसला किया गया है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के सदस्य के तहत स्टार्टअप्स की समस्याओं के समाधान के लिए एक प्रकोष्ठ बनाया जाएगा.