नई दिल्ली :सरकार को कृषि क्षेत्र के समग्र विकास के लिए आगामी बजट में स्वदेशी कृषि अनुसंधान, तिलहन उत्पादन, खाद्य प्रसंस्करण और जैविक खेती के लिए अतिरिक्त धनराशि और प्रोत्साहन देना चाहिए.
उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों ने कहा कि प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण (डीबीटी) योजना का इस्तेमाल किसानों को सब्सिडी देने की जगह अधिक समर्थन देने के लिए होना चाहिए.
डीसीएम श्रीराम के चेयरमैन और वरिष्ठ प्रबंध निदेशक अजय श्रीराम ने कहा, "खाद्य प्रसंस्करण उद्योग ने किसान के लिए बेहतर कीमत पाने और बिचौलियों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. बजट में खाद्य प्रसंस्करण के लिए ब्याज प्रोत्साहन, करों में कटौती, प्रौद्योगिकी का उपयोग और विशेष प्रोत्साहन देना चाहिए."
उन्होंने पीएम-किसान योजना, जिसके तहत 6,000 रुपये सालाना का भुगतान सीधे किसानों के बैंक खातों में किया जाता है, का उल्लेख करते हुए कहा कि डीबीटी तंत्र को ठीक से तैयार करना चाहिए और समय के साथ सब्सिडी देने के बदले किसानों को अधिक समर्थन देने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए.
श्रीराम ने कहा कि यह किसानों को तय करना चाहिए कि वे इस धन का सही इस्तेमाल कैसे करना चाहते हैं. डीबीटी के लाभों के साथ किसान बीज खरीद सकते हैं, नई प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर सकते हैं, पानी का बेहतर उपयोग कर सकते हैं और ऐसे ही कई दूसरे काम किए जा सकते हैं.