नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर बिमल जालान ने सरकार द्वारा कोविड-19 से प्रभावित अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए उठाए गए कदमों को 'काफी सकारात्मक' करार दिया है. उन्होंने उम्मीद जताई कि इन उपायों से अर्थव्यवस्था में गिरावट को रोकने में मदद मिलेगी.
उन्होंने कहा कि आज स्थिति 1991 के भुगतान संतुलन के संकट जैसी नहीं है. आज भारत के पास संसाधन हैं. साथ ही किसी भी संकट के लिए विदेशी मुद्रा का भंडार है. जालान ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जिन उपायों की घोषणा की है वे काफी सकारात्मक हैं.
जालान ने पीटीआई-भाषा से साक्षात्कार में कहा, "आपने सही कहा कि ये सभी आपूर्ति पक्ष के उपाय हैं, मांग पक्ष के नहीं. वृहद आर्थिक दृष्टि से देखा जाए, तो अर्थव्यवस्था में आम यह उम्मीद नहीं कर सकते कि ऊंचे राजकोषीय घाटे से वृद्धि दर भी ऊंची होगी.
सरकार ने कोविड-19 संकट के बीच इसी महीने 20.97 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की है. इसमें रिजर्व बैंक के 8.01 लाख करोड़ रुपये के तरलता उपाय भी शामिल हैं. इन आलोचनाओं कि अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों की तुलना में भारत का आर्थिक पैकेज काफी कम है, जालान ने कहा कि विकसित और विकासशील देशों में अंतर होता है.
जालान ने कहा, "यदि आप विकसित देशों को देखें, तो उनकी वृद्धि दर दो या तीन प्रतिशत है, लेकिन इसके बावजूद उनकी प्रति व्यक्ति आय काफी अधिक है."
उन्होंने कहा कि विकासशील देशों में छह से सात प्रतिशत की ऊंची वृद्धि दर में आपको महंगाई को भी काबू में रखना होता है, जिससे प्रति व्यक्ति आय बढ़े.
यह पूछे जाने पर कि क्या मौजूदा संकट 1991 के भुगतान संतुलन के संकट जैसा ही बड़ा है, जालान ने कहा, "1991 का आर्थिक संकट अलग तरह का था. हमें गंभीर भुगतान संतुलन की समस्या से जूझना पड़ा था. उस समय हमारे पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार नहीं था."