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सरकार ने कुछ खास अवधि में जारी ई-वे बिल की वैधता जून अंत तक बढ़ाई

सीबीआईसी ने इससे पहले 24 मार्च को अथवा इससे पहले सृजित ई-वे बिलों और 20 मार्च से 15 अप्रैल के बीच वैधता अवधि समाप्त होने वाले ई-वे बिलों की वैधता को 30 अप्रैल 2020 तक के लिये बढ़ा दिया था. पिछले महीने इस अवधि को 31 मई तक के लिये बढ़ा दिया गया.

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Published : Jun 10, 2020, 10:40 PM IST

सरकार ने कुछ खास अवधि में जारी ई-वे बिल की वैधता जून अंत तक बढ़ाई
सरकार ने कुछ खास अवधि में जारी ई-वे बिल की वैधता जून अंत तक बढ़ाई

नई दिल्ली: सरकार ने 24 मार्च 2020 को अथवा उससे पहले निकाले गये ई-वे बिलों की वैधता अवधि को 30 जून तक के लिये बढ़ा दिया. यह तीसरा मौका है जब इन बिलों की वैधता अवधि बढ़ाई गई है.

केन्द्रीय अप्रतयक्ष कर बोर्ड (सीबीआईसी) ने एक अधिसूचना में कहा है, "केन्द्रीय माल एवं सेवाकर नियम 2017 के नियम 138 के तहत जहां 24 मार्च 2020 को अथवा उससे पहले ई-वे बिल सृजित किये गये हैं और जिनकी वैधता अवधि 20 मार्च को अथवा इसके बाद समाप्त हो गई है, ऐसे ई-वे बिलों की वैधता अवधि को 30 जून 2020 तक बढ़ा हुआ माना जायेगा."

सीबीआईसी ने इससे पहले 24 मार्च को अथवा इससे पहले सृजित ई-वे बिलों और 20 मार्च से 15 अप्रैल के बीच वैधता अवधि समाप्त होने वाले ई-वे बिलों की वैधता को 30 अप्रैल 2020 तक के लिये बढ़ा दिया था. पिछले महीने इस अवधि को 31 मई तक के लिये बढ़ा दिया गया.

अब एक अन्य अधिसूचना में सीबीआईसी ने ऐसे मामलों में जहां आर्डर जारी करने की समयसीमा 20 मार्च और 29 जून 2020 के दायरे में पड़ती है रिफंड को खारिज करने के लिये 30 जून तक का समय दे दिया है.

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सीबीआईसी ने कहा है, "... कोविड- 19 महामारी के प्रसार को देखते हुये सरकार परिषद की सिफारिश पर यह अधिसूचित करती है कि जिस मामले में रिफंड दावे को खारिज करने के लिये नोटिस जारी कर दिया गया है और जिन मामलों में आर्डर जारी करने की समयसीमा ... 20 मार्च 2020 से 29 जून 2020 के बीच पड़ती है, ऐसे मामलों में उक्त आदेश को जारी करने की समयसीमा को पंजीकृत व्यक्ति से नोटिस का उत्तर मिलने के बाद 15 दिन के लिये अथवा 30 जून 2020 तक में से जो भी बाद में आता हो, उस समय तक बढ़ा दिया जाना चाहिये."

एएमआरजी एण्ड एसोसियेट्स के वरिष्ठ पार्टनर रजत मोहन ने इस मामले में कहा, "इससे कर अधिकारियों के पास गुणवत्ता पूर्ण आर्डर पारित करने के लिये काफी समय उपलबध होगा. इसमें करदाताओं को भी उसकी बात सुनने के लिये उचित अवसर प्राप्त हो सकेगा."

(पीटीआई-भाषा)

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