नई दिल्ली: मौजूदा वित्तवर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. इस बीच इंडिया इंक ने इस पर आश्चर्य व्यक्त किया और कहा कि आंकड़े अनुमान से बेहतर है.
हालांकि, उन्होंने कहा कि सरकार को एक प्रमुख आर्थिक वृद्धि अर्जित करने के लिए देश में आगे की समर्थन मांग की ओर ध्यान देना चाहिए.
जीडीपी आंकड़ा एक सुखद आश्चर्य
फिक्की की अध्यक्ष संगीता रेड्डी ने कहा, दूसरी तिमाही में जीडीपी की दर 7.5 प्रतिशत घटी है, जो कि एक सुखद आश्चर्य के रूप में सामने आया है. यह ज्यादातर विश्लेषकों द्वारा अनुमानित प्रत्याशा से बहुत बेहतर है और यह स्पष्ट रूप से दशार्ता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था एक तेज रिकवरी मोड पर है.
उन्होंने कहा कि हालांकि यह मार्जिनल ही है, मगर एक सकारात्मक विकास है, जो कि दूसरी तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र में उल्लेखनीय कहा जा सकता है.
रेड्डी ने कहा, उच्च आवृत्ति (हाई फ्रीक्वेंसी) के कई संकेतक ग्रीन जोन में आगे बढ़ते हुए तेजी से सुधार दिखा रहे हैं और हमने दूसरी तिमाही के आने वाले कॉपोर्रेट परिणामों में भी सुधार देखा है. ये सभी रुझान काफी आश्वस्त करने वाले हैं और भारतीय उद्योग और अर्थव्यवस्था के लचीलेपन को दशार्ते हैं.
सरकार को मांग पर नजर रखना चाहिए
फिक्की की अध्यक्ष ने हालांकि कहा कि आगे बढ़ते हुए, सरकार को मांग (डिमांड) पर कड़ी नजर रखनी चाहिए.
उन्होंने कहा, त्योहारी सीजन दिसंबर तक जारी रहेगा और सरकार द्वारा घोषित पहले के मांग-आधारित उपायों का प्रभाव पड़ेगा, हमें लगता है कि खपत गतिविधि को आगे समर्थन देना महत्वपूर्ण होगा. सरकार केवल सरकारी कर्मचारियों के बजाय उपभोग वाउचर आइडिया को सभी तक पहुंचाने पर विचार कर सकती है.
वहीं पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने कहा कि मार्च 2020 से सरकार द्वारा किए गए सुधारों ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर आने की दिशा दी है.
अग्रवाल ने कहा, अब आगे बढ़ते हुए, सरकार का ध्यान आत्मनिर्भर भारत 3.0 के तहत पेश किए गए कायाकल्प उपायों पर ध्यान केंद्रित करने को लेकर होगा, जो कि आने वाली तिमाहियों में बढ़ी हुई मांग, रोजगार सृजन, निजी निवेश में वृद्धि, निर्यात आदि क्षेत्रों के विकास के माध्यम से आर्थिक विकास पथ पर कई गुना प्रभाव डालेंगे.
उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचे पर खर्च बढ़ने के साथ-साथ निजी निवेश को बढ़ावा देने, देश में रोजगार के नए अवसर पैदा करने, इस्पात, सीमेंट और बिजली जैसी वस्तुओं की मांग पैदा करने से आर्थिक विकास दर पर कई गुना प्रभाव पड़ेगा.