नई दिल्ली: अर्थशास्त्री एनआर भानुमूर्ति ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में इस वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) की अवधि में कुछ बेहतर होने की उम्मीद की जा रही है, लेकिन यह उतनी बेहतर नहीं होगी जितना सरकार सोच रही है. भानुमूर्ति ने कहा कि संभावना है कि पूरे साल के लिए जीडीपी वृद्धि के पूर्वानुमान को 5 प्रतिशत से नीचे की ओर संशोधित करना होगा.
जीडीपी और मुद्रास्फीति की संख्या को मापने के लिए नोडल एजेंसी केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) को शुक्रवार को तीसरी तिमाही के लिए जीडीपी डेटा जारी करेगी.
भानुमूर्ति ने कहा, "मेरा अपना आकलन है कि इस बार का यह दूसरी तिमाही की संख्या से थोड़ा बेहतर होगा."
प्रोफेसर भानुमूर्ति ने ईटीवी भारत को बताया, "अग्रिम अनुमान में पूरे वर्ष के लिए पांच प्रतिशत जीडीपी वृद्धि का सुझाव दिया गया है, जिसका अर्थ है कि अर्थव्यवस्था को अगले दो तिमाहियों के लिए 5.5-6% की दर से बढ़ने की आवश्यकता है. लेकिन मुझे नहीं लगता की ऐसा होगा."
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में भारत की जीडीपी वृद्धि छह साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है. वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के दौरान जीडीपी विकास दर 7% थी जो इस वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2019-20) में इसी अवधि के दौरान घटकर सिर्फ 4.5% रह गई. वित्त वर्ष 2012-13 की जनवरी-मार्च तिमाही के बाद यह सबसे कम वृद्धि दर है जब यह 4.3% तक गिर गया था.
सार्वजनिक वित्त की निगरानी करने वाले प्रोफेसर भानुमूर्ति के अनुसार आर्थिक सुधार इतना कमजोर होगा कि इसके परिणामस्वरूप देश के सकल घरेलू उत्पाद के लिए वार्षिक वृद्धि के अनुमान को कम करना होगा.