नई दिल्ली: सरकार ने कंपनियों के पंजीकरण के लिये दस्तावेजों व प्रमाणपत्रों को अपलोड करने की आवश्यकता को समाप्त कर स्व-घोषणा के आधार पर ऑनलाइन पंजीकरण कराने के नये दिशानिर्देश शुक्रवार को जारी किये. नये दिशानिर्देश एक जुलाई 2020 से प्रभावी होंगे.
अधिकारियों ने कहा कि यह आयकर और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की प्रणालियों के साथ उद्यम पंजीकरण प्रक्रिया को जोड़ने से संभव हो पाया है. उन्होंने कहा कि जो भी जानकारियां प्रदान की जायेंगी, उनका सत्यापन स्थायी खाता संख्या (पैन संख्या) और जीएसटी पहचान संख्या (जीएसटीआईएन) से किया जा सकता है.
एक आधिकारिक बयान में कहा गया, "आधार नंबर के आधार पर किसी उद्यम को पंजीकृत किया जा सकता है. अन्य विवरण किसी भी कागज को अपलोड करने या जमा करने की आवश्यकता के बिना स्व-घोषणा के आधार पर दिये जा सकते हैं. इस प्रकार यह सही अर्थों में एक दस्तावेज रहित उपाय है."
अधिसूचना में यह भी कहा गया कि अब एक लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम (एमएसएमई) इकाइयों को उद्यम के नाम से जाना जायेगा. यह शब्द उपक्रम शब्द के अधिक करीब है. इसी तरह पंजीकरण प्रक्रिया को अब 'उद्यम पंजीकरण' कहा जायेगा.
जैसा कि पहले घोषित किया गया था, 'संयंत्र, मशीनरी अथवा उपकरण' में निवेश और 'कारोबार' अब एमएसएमई के वर्गीकरण के लिये बुनियादी मानदंड हैं.
अधिसूचना स्पष्ट करती है कि किसी भी उद्यम के कारोबार की गणना करते समय वस्तुओं या सेवाओं या दोनों के निर्यात को उनके टर्नओवर की गणना से बाहर रखा जायेगा, भले ही संबंधित उपक्रम सूक्ष्म हो या लघु हो या मध्यम.
बयान में कहा गया, "पंजीकरण की प्रक्रिया पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन की जा सकती है. पोर्टल की जानकारी एक जुलाई 2020 से पहले सार्वजनिक कर दी जायेगी."
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय ने एक जून 2020 को निवेश एवं कारोबार के आधार पर एमएसएमई के वर्गीकरण के नये मानदंडों की अधिसूचना जारी की थी. नये मानदंड एक जुलाई 2020 से प्रभावी होने वाले हैं.