नई दिल्ली: पंद्रहवें वित्त आयोग की सलाहकार परिषद ने कर संग्रह से प्राप्त होने वाले राजस्व पर कोविड-19 महामारी के कारण लगायी गयी पाबंदियों के प्रभाव और ऋण पुनर्गठन की रूपरेखा तैयार करने की संभावनाओं पर चर्चा की.
सलाहकार परिषद ने वित्त आयोग के साथ 25-26 जून को वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये बैठकों में महसूस किया कि अर्थव्यवस्था तथा केंद्र और राज्य सरकारों की राजकोषीय स्थिति पर महामारी का प्रभाव अभी भी बहुत अनिश्चित है.
एक आधिकारिक बयान में कहा गया, "सलाहकार परिषद ने केंद्र और राज्य सरकारों के कर राजस्व संग्रह पर अर्थव्यवस्था में पाबंदियों के कारण प्रतिकूल प्रभावों पर भी चर्चा की. परिषद के कुछ सदस्यों ने यह माना कि कर संग्रह पर महामारी का काफी असर हो सकता है. उन्होंने यह भी संकेत दिया कि कर संग्रह पर महामारी का असर काफी अलग तरह का भी हो सकता है."
पिछले महीने जारी आंकड़ों से पता चलता है कि केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा अप्रैल में बजट अनुमानों का 78 प्रतिशत पहुंच गया और यह 2.79 लाख करोड़ रुपये हो गया. इसका कारण कोरोना वायरस महामारी के प्रसार पर रोकथाम के लिये देश भर में लागू किये गये लॉकडाउन के कारण राजस्व का संग्रह कम हो जाना है.
वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में राजकोषीय घाटे का अनुमान 7.96 लाख करोड़ रुपये रखा गया है. यह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.5 प्रतिशत है.
सलाहकार परिषद ने कोविड-19 महामारी के बाद सार्वजनिक ऋण के पुनर्गठन के लिये एक रूपरेखा तैयार करने की बाधाओं और संभावनाओं के साथ-साथ सरकार के घाटे व ऋण पर निहितार्थ के बारे में भी चर्चा की.