नई दिल्ली: भारतीय अर्थव्यवस्था पहले से ही मंदी की चपेट में है. इसी बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने विश्व व्यापार में और भी गिरावट की आशंका व्यक्त की है. शीर्ष बैंक ने अपनी मौद्रिक नीति रिपोर्ट में कहा है कि भविष्य के संकेतों से पता चलता है कि इस साल विश्व व्यापार में और गिरावट आने की आशंका है.
आरबीआई ने कहा, "वैश्विक व्यापार में मंदी, जो 2018 के उत्तरार्ध में शुरू हुई, 2019 में भी जारी है. आगे के लिए भी संकेत मिल रहे हैं कि विश्व व्यापार 2019 में और भी मंद हो सकता है."
अमेरिका में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर घटी है. वहां की जीडीपी 2019 की दूसरी तिमाही में घटकर दो फीसदी पर पहुंच गई है.
आरबीआई ने आगे कहा कि ब्रिक्सिट और व्यापार तनाव के बीच अनिश्चितताओं के चलते यूरो क्षेत्र की जीडीपी वृद्धि दर भी 2019 की दूसरी तिमाही में धीमी हुई है.
ये भी पढ़ें:मोदी, जिनपिंग के बीच अनौपचारिक बैठक रणनीतिक संबंधों की मजबूती के लिए बेहतर: फियो
गिरते निर्यात के बीच ऑटो उद्योग में आए संकट के कारण जर्मन अर्थव्यवस्था भी साल की दूसरी तिमाही में संकुचित हुई है. तीसरी तिमाही में प्रवेश करने के दौरान भी इसकी रफ्तार संतोषजनक नहीं है. यहां कारखानों की गतिविधि में लगातार नौवें महीने गिरावट दर्ज की गई है.
इसके साथ ही दूसरी तिमाही में उद्योग और कृषि गतिविधियों के निराशाजनक प्रदर्शन से इटली का सकल घरेलू उत्पाद भी सिकुड़ा है.
अमेरिका-चीन के बीच व्यापारिक तनाव में वृद्धि और वैश्विक मांग में आई गिरावट के बीच जापानी अर्थव्यवस्था पूर्ववर्ती तिमाही की तुलना में दूसरी तिमाही में धीमी गति से बढ़ी है.
ब्रिक्सिट अनिश्चितता के बाद अप्रैल में कार संयंत्रों के जल्दी बंद होने के कारण विनिर्माण गतिविधि में गिरावट की वजह से ब्रिटेन की वास्तविक जीडीपी भी दूसरी तिमाही में प्रभावित हुई है.
अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव व वैश्विक मांग कम होने से पड़ोसी देश चीन की अर्थव्यवस्था लगभग 27 वर्षों में साल दर साल की दूसरी तिमाही के दौरान सबसे कमजोर रही है.
इसके साथ ही रूस, इंडोनेशिया व थाईलैंड जैसे देशों को भी मंदी का सामना करना पड़ रहा है.