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पूर्व आकलन वर्षों के रिटर्न शामिल होने की वजह से 2018-19 में घटा आयकर रिटर्न का आंकड़ा

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने एक बयान जारी कर स्पष्टीकरण दिया है कि जो दाखिल रिटर्न दिखाए गए हैं उनमें पूर्व के आकलन वर्षों के रिटर्न भी शामिल हैं. उन्हें अलग कर देखा जाए तो 2018-19 में आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या 19 प्रतिशत बढ़ी है.

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Published : May 7, 2019, 8:15 AM IST

नई दिल्ली : आयकर विभाग ने वित्त वर्ष 2018-19 में आनलाइन दाखिल किए गए आयकर रिटर्न की संख्या में 6.6 लाख की गिरावट पर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि वित्त वर्ष के लिए उसकी ई-फाइलिंग वेबसाइट पर जो आंकड़े दिखाए गए हैं, उनमें पूर्व वित्त वर्षों के लिये दायर रिटर्न के आंकडे भी शामिल हैं.

आयकर विभाग की वेबसाइट पर डाले गए आंकड़ों के अनुसार 2018-19 में आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या इससे पिछले वित्त वर्ष के 6.74 करोड़ से घटकर 6.68 करोड़ रह गई. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने एक बयान जारी कर स्पष्टीकरण दिया है कि जो दाखिल रिटर्न दिखाए गए हैं उनमें पूर्व के आकलन वर्षों के रिटर्न भी शामिल हैं. उन्हें अलग कर देखा जाए तो 2018-19 में आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या 19 प्रतिशत बढ़ी है.

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कर विभाग पूर्व में किसी एक वित्त वर्ष में दाखिल सभी रिटर्न की कुल संख्या को एक साथ जोड़कर बताता रहा है. उसकी के आधार पर साल-दर- साल की वृद्धि बताई जाती रही है. विभाग ने आखिरी बार इस तरह का आंकड़ा दो अप्रैल, 2018 में दिया, जिसमें 2017-18 में दाखिल रिटर्न की संख्या बताई गई है. विभाग ने इस बार 2018-19 में दाखिल रिटर्न पर इस तरह का वक्तव्य जारी नहीं किया है, यानी इस बार पिछले आकलन वर्षों के लिये दाखिल रिटर्न को इनमें नहीं जोड़ा गया है.

सीबीडीटी ने सोमवार को जारी बयान में स्पष्ट किया कि वित्त वर्ष 2017-18 में जो कुल मिलाकर 6.74 करोड़ आयकर रिटर्न दाखिल किए हैं, उनमें 5.47 करोड़ आयकर रिटर्न ही आकलन वर्ष 2017-18 के हैं. इसके मुकाबले वित्त वर्ष 2018-19 में कुल 6.68 करोड़ आयकर रिटर्न ई-फाइल किये गये, जिसमें कि 6.49 करोड़ रिटर्न आकलन वर्ष 2018-19 के हैं.

आकलन वर्ष 2017-18 के लिये दायर रिटर्न की यदि आकलन वर्ष 2018-19 में दायर रिटर्न से तुलना की जाये तो इसमें 19 प्रतिशत वृद्धि हुई है. आयकर कानून में वित्त वर्ष और आकलन वर्ष अलग अलग हैं. आयकर के लिहाज से वित्त वर्ष वह वर्ष है जिसकी आय की गणना होती है, जबकि आकलन वर्ष वित्त वर्ष के बाद का वर्ष कहलाता है जिसमें पिछले पूरे साल की आय की गणना की जाती है और कर आकलन किया जाता है.

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