हैदराबाद: भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैंक के पुनरुद्धार योजना को लागू करने के लिए येस बैंक से निकासी पर प्रतिबंध लगाने के केंद्रीय बैंक के फैसले पर आज कड़े सवालों का सामना किया. बैंकिंग नियमन अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, येस बैंक के लिए एक पुनर्निर्माण योजना तैयार करने के लिए स्थगन लागू करना एक पूर्व शर्त थी और रिजर्व बैंक अपने बैंकिंग कार्यों पर स्थगन लगाए बिना ऐसा नहीं कर सकता था.
आरबीआई के 50,000 रुपये प्रति जमाकर्ता के लिए आहरण सीमा तय करने के फैसले ने अपने जमाकर्ताओं की आंखों में येस बैंक की विश्वसनीयता को डुबो दिया. कई लोगों का मानना है कि 18 मार्च को जब प्रतिबंध हटा दिया जाएगा, तब बैंक से पैसे निकालने के लिए भीड़ होगी. येस बैंक को पुनर्जीवित करने के लिए आरबीआई को इस तरह के चरम उपाय का सहारा नहीं लेना चाहिए था.
भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एचएस विश्वनाथन ने कहा, "अगर आप बीआर एक्ट (बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट) को देखते हैं, तो बीआर एक्ट के लिए जरूरी है कि स्कीम को लागू करने के लिए स्थगन एक शर्त हो."
उन्होंने येस बैंक पर कैप लगाने के पीछे के तर्क पर कहा, "आरबीआई ने धारा 45 के तहत इस योजना को एक स्थगन से पहले लागू नहीं किया जा सकता है."
बैंकिंग विनियमन अधिनियम की धारा 45 क्या कहती है
बैंकिंग विनियम अधिनियम की धारा 45, जो किसी बैंकिंग कंपनी के समामेलन या उसके पुनर्निर्माण का आदेश देने के लिए आरबीआई की शक्ति से संबंधित है, कहती है कि आरबीआई किसी बैंकिंग कंपनी के संबंध में स्थगन आदेश के लिए केंद्र सरकार को आवेदन कर सकता है यदि ऐसा करने के लिए अच्छे कारण हैं.
आरबीआई के आवेदन की जांच करने के बाद, केंद्र सरकार एक निर्दिष्ट अवधि के लिए बैंकिंग कंपनी के संचालन पर रोक लगा सकती है, लेकिन अधिस्थगन की कुल अवधि छह महीने से अधिक नहीं होनी चाहिए.
इस मामले में, आरबीआई ने 6 मार्च को येस बैंक के बोर्ड को अलग कर दिया और 50,000 रुपये से अधिक की निकासी पर रोक लगा दिया. इसने यह भी कहा कि एसबीआई की अगुवाई में येस बैंक की पुनर्निर्माण योजना अप्रैल से पहले लागू की जाएगी और प्रतिबंध हटा दिए जाएंगे.
हालांकि, विपक्षी दलों ने येस बैंक के संकट से निपटने के लिए प्रधान मंत्री मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की आलोचना की.