बिजनेस डेस्क ईटीवी भारत:ई-कॉमर्स की दिग्गज कंपनी अमेजन.कॉम इंक ने रविवार को उस समय उद्योग जगत को हैरान कर दिया जब वह फ्यूचर ग्रुप और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की रिटेल यूनिट के बीच सौदे को रोकने में सफल रही.
अमेजन ने कहा कि उसने सिंगापुर मध्यस्थता अदालत से एक अंतरिम राहत प्राप्त की है, जिसने किशोर बियानी के फ्यूचर ग्रुप को मुकेश अंबानी की रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड (आरआरवीएल) को 24,713 करोड़ रुपये में अपनी खुदरा और थोक संपत्ति बेचने से रोक दिया है.
फ्यूचर रिटेल, जो सुपरमार्केट के बिग बाजार श्रृंखला का मालिक है, और आरआरवीएल ने भारत के सबसे बड़े समूह आरआईएल को भारत के खुदरा बाजार पर एक बड़ा नियंत्रण प्रदान किया है. बदले में, फ्यूचर रिटेल अपनी तीव्र ऋण और नकदी की कमी की समस्याओं का प्रबंधन करने में सक्षम होगा. लेकिन अमेजन अब स्पष्ट रूप से इन दोनों फर्मों के लिए एक बड़ी परेशानी बन गया है. आइए जानते है कि क्यों अमेजन इस सौदे का विरोध कर रहा है.
2019 में हुआ अमेजन-फ्यूचर ग्रुप डील
बियानी के आरआईएल के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करने से कुछ महीने पहले ही दिसंबर 2019 में अमेजन और फ्यूचर समूह के बीच सौदे का हस्ताक्षर हुआ.
अमेजन ने उस समय 1,430 करोड़ रुपये में फ्यूचर कूपन प्राइवेट लिमिटेड (एफसीपीएल) में 49% हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया, जिसने इसे फ्यूचर रिटेल लिमिटेड में लगभग 5% अप्रत्यक्ष हिस्सेदारी दी.
लेकिन, इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि फ्यूचर रिटेल ने आने वाले वर्षों में फर्म को और अधिक हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया है.
अमेजन का यह भी कहना है कि इस सौदे में एक गैर-प्रतिस्पर्धा खंड था जिसने फ्यूचर रिटेल को "प्रतिबंधित व्यक्तियों" की सूची में किसी को भी अपनी खुदरा संपत्ति बेचने से प्रतिबंधित कर दिया था, जिसमें आरआईएल समूह की फर्में शामिल थीं.
द फ्यूचर रिटेल-आरआईएल सौदा
लॉकडाउन के दौरान महीनों के लिए देश भर में बंद दुकानों के साथ कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित फ्यूचर रिटेल के व्यापार को बचाने और जीवित रहने के लिए बियानी ने अगस्त 2020 में अंबानी के साथ एक सौदा किया.
सौदे के महत्व को इस तथ्य से देखा जा सकता है कि फ्यूचर रिटेल लिमिटेड ने कथित तौर पर मध्यस्थता की कार्यवाही के दौरान सिंगापुर की अदालत को बताया कि अगर आरआईएल को परिसंपत्तियां बेचने के लिए उसका सौदा विफल हो जाता है, तो इसे परिसमापन में जाना होगा.
लेकिन अमेजन का तर्क है कि फ्यूचर-आरआईएल सौदे के संबंध में इसे लूप में नहीं रखा गया था और फ्यूचर के साथ इसके सौदे में गैर-प्रतिस्पर्धा वाले खंड के मद्देनजर अमेजन की मंजूरी के बिना लेनदेन आगे नहीं बढ़ सकता है.
सिंगापुर कोर्ट बीच में कैसे आया?