मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक ने जनवरी में एमएसएमई क्षेत्र के मौजूदा ढांचे के अध्ययन के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पूर्व चेयरमैन उपेंद्र कुमार सिन्हा की अध्यक्षता में को आठ सदस्यीय समिति का गठन किया था.
जिसके बाद समिति ने विभिन्न हितधारकों के साथ परामर्श किया और अपने विचार भी रखे. समिति ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर को सौंप दी.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार समिति ने एमएसएमई इकाइयों के लिए मुद्रा योजना के तहत ऋणों की सीमा बढ़ाकर 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख करने का सुझाव दिया है. हालांकि ये उम्मीद जताई जा रही है कि आरबीआई इस रिपोर्ट को शुक्रवार तक सार्वजनिक करेगा.
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एमएसएमई पर बनी विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट रिज़र्व बैंक के गवर्नर को सौंपी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार समिति ने एमएसएमई इकाइयों के लिए मुद्रा योजना के तहत ऋणों की सीमा बढ़ाकर 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख करने का सुझाव दिया है. हालांकि ये उम्मीद जताई जा रही है कि आरबीआई इस रिपोर्ट को शुक्रवार तक सार्वजनिक करेगा.
रिजर्व बैंक ने बयान में कहा कि समिति सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) के आर्थिक और वित्तीय स्थायित्व के लिए दीर्घावधि के लिए कई समाधान सुझाए हैं.
समिति ने हालिया आर्थिक सुधारों के क्षेत्र पर अध्ययन किया और उनकी वृद्धि को प्रभावित करने वाली संरचनात्मक समस्याओं के बारे में पता लगाया.
समिति के अन्य सदस्यों में एमएसएमई विकास आयुक्त राम मोहन मिश्रा, वित्तीय सेवा विभाग में संयक्त सचिव पंकज जैन, एसबीआई के प्रबंध निदेशक पी के गुप्ता, आईसीआईसीआई बैंक के कार्यकारी निदेशक अनूप बागची, भारतीय प्रबंधन संस्थान-अहमदाबाद के प्रोफेसर अभिमान दास, स्पिरिट फाउंडेशन के संस्थापक शरद शर्मा और दवारा ट्रस्ट की चेयरपर्सन बिंदू अनंत शामिल हैं.