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कॉर्पोरेट्स को राहत देना अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार के लिए महत्वपूर्ण: मुख्य आर्थिक सलाहकार

ईटीवी भारत से बात करते हुए मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने कहा कि निजी निवेश के चक्र को शुरू करने के लिए कॉर्पोरेट क्षेत्र को राहत देना आवश्यक है.

मुख्य आर्थिक सलाहकार: कॉर्पोरेट्स को राहत देना अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार के लिए महत्वपूर्ण
मुख्य आर्थिक सलाहकार: कॉर्पोरेट्स को राहत देना अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार के लिए महत्वपूर्ण

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Published : Feb 3, 2020, 11:46 PM IST

Updated : Feb 29, 2020, 2:10 AM IST

नई दिल्ली: देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने इस साल के बजट में कॉरपोरेट सेक्टर को दी गई बड़ी राहत का यह कहते हुए बचाव किया है कि यह निजी निवेश के चक्र को शुरू करने के लिए आवश्यक है. उन्होंने कहा कि यह उच्च विकास दर का मार्ग प्रशस्त करेगा क्योंकि डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (डीडीटी) जैसे टैक्स का उन्मूलन देश की टैक्स व्यवस्था में विकृति को सही करेगा. जिसने संप्रभु धन कोष और पेंशन कोष को भारत में निवेश करने से हतोत्साहित किया.

ईटीवी भारत से बात करते हुए मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन

मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने कहा कि जब कोई डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स लेता है तो यह निवेशकों के हाथ में लगता है, न कि कॉरपोरेट पर. यह काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि आपके पास पेंशन फंड, बीमा कंपनियां, संप्रभु धन निधि हैं जो आमतौर पर उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं हैं.

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पिछले साल कॉरपोरेशन टैक्स में कटौती के पीछे के औचित्य और केंद्रीय बजट में डीडीटी को खत्म करने के बारे में बात करते हुए सुब्रमण्यम ने कहा कि जब कॉरपोरेट्स पर डीडीटी लगाया गया था तब इन संस्थाओं को टैक्स योग्य नहीं होने के बावजूद टैक्स का भुगतान करना पड़ा था.

अपने दूसरे बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डीडीटी को समाप्त कर दिया. यह पिछले छह महीनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा उद्योग को दिया गया दूसरा बूस्टर है. पिछले साल सितंबर में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने निजी क्षेत्र को निवेश बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए हाल के दिनों में कॉर्पोरेशन टैक्स में सबसे बड़ी कटौती की घोषणा की थी क्योंकि वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में जीडीपी की वृद्धि घटकर सिर्फ 5 प्रतिशत रह गई थी.

पिछले सप्ताह प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण में कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने निजी निवेश को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया. निवेश के वर्ष-वार आंकड़ों और जीडीपी विकास दर के साथ इसके संबंध को देखते हुए उन्होंने तर्क दिया कि निजी निवेश 2013 में चरम पर था और यह 2017 तक अगले चार वर्षों तक कायम रहा. उन्होंने कहा कि 2014-15 से निजी निवेश घटने लगा था और वित्त वर्ष 2018-19 में यह आर्थिक मंदी का कारण बना.

संप्रभु धन निधि और पेंशन फंड के साथ उपलब्ध भारी मात्रा में धन को आकर्षित करने के लिए सरकार की रणनीति को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि डीडीटी का उन्मूलन इन निधियों को आकर्षित करेगा और यह देश के बॉन्ड बाजार को मजबूत करेगा.

संभावित निवेशकों के लिए डीडीटी उन्मूलन के लाभों के बारे में बात करते हुए सुब्रमण्यम ने कहा, "इन संस्थाओं को मिलने वाले वास्तविक रिटर्न में अब काफी वृद्धि हुई है. नतीजतन इक्विटी कैपिटल और विशेष रूप से दीर्घकालिक इक्विटी कैपिटल को प्रोत्साहित किया गया है."

(वरिष्ठ पत्रकार कृष्णानन्द त्रिपाठी के द्वारा साक्षात्कार)

Last Updated : Feb 29, 2020, 2:10 AM IST

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