मुंबई: एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने बुधवार को कहा कि कोरोना वायरस संकट से निपटने के लिए सरकार के 1.75 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ज्यादातर हिस्सा पहले ही बजट में प्रस्तावित था और उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि महामारी से संबंधित चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए अर्थव्यवस्था को तीन लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त सहायता चाहिए.
अर्थशास्त्रियों ने कहा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पिछले महीने घोषित 1.75 लाख करोड़ रुपये के पैकेज में सिर्फ 73,000 करोड़ रुपये की नई घोषणाएं हैं क्योंकि बाकी का पहले ही बजट में प्रावधान किया जा चुका था. उन्होंने कहा कि इस समय प्रभावित उद्योगों के लिए एक बड़े वित्तीय पैकेज की जरूरत है.
कोविड-19 महामारी के कारण पहले ही सुस्त अर्थव्यवस्था में और गिरावट की आशंका है. इस महामारी के चलते 25 मार्च को 21 दिनों के देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की गई थी. कुछ विश्लेषकों का मानना है कि इसके चलते चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर घटकर दो प्रतिशत रह जाएगी.
एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने अपनी टिप्पणी में कहा, "लगभग 3.60 करोड़ रुपये के श्रम और पूंजीगत की आय के नुकसान को देखते हुए न्यूनतम वित्तीय पैकेज को पहले चरण की सहायता के तहत दी गई 73,000 करोड़ रुपये की धनराशि के अतिरिक्त तीन लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाना चाहिए." टिप्पणी में कहा गया है कि बैंकिंग प्रणाली का 98 प्रतिशत बकाया कज देश के उन 284 जिलों से हैं, जो कोविड-19 से प्रभावित हैं और इसलिए बैंकिंग क्षेत्र पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है.