नई दिल्ली: धीमी अर्थव्यवस्था के कारण वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पिछले साल कॉरपोरेट कर की दरों में भारी कटौती करनी पड़ी थी. जिसका असर केंद्र सरकार के वित्त में देखने को मिला.
निर्बल अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए निर्मला सीतारमण ने पिछले साल सितंबर में कॉरपोरेट कर की दर में कटौती की थी. जिसके बाद घरेलू कंपनियों पर कारपोरेट कर की प्रभावी कर दर को 31-32% से घटाकर सिर्फ 25.12% कर दिया था और नव स्थापित कंपनियों के लिए प्रभावी दर पहले के 25% से घटकर मात्र 15% कर दिया था.
कॉरपोरेशन टैक्स, जीएसटी और इनकम टैक्स ये तीन टैक्स केंद्र की आय का सबसे बड़ा स्रोत हैं. इसके बाद केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क आते हैं. संशोधित अनुमानों में एक भी कर अपने बजट लक्ष्य को पूरा नहीं कर सके. पांच प्रमुख करों में से चार करों जीएसटी, आयकर, उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क ने पिछले साल के आंकड़ों से कम रहे.
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जैसा कि अपेक्षित था निजी कर को प्रोत्साहित करने के लिए कॉरपोरेट कर में कटौती के निर्णय से समग्र कर संग्रह लक्ष्य में बड़ी गिरावट देखने को मिली. यह केंद्र के 16.50 लाख करोड़ रुपये के बजट अनुमान के मुकाबले सिर्फ 15.05 लाख करोड़ रुपये रहा. संशोधित अनुमानों के अनुसार इसमें 1.45 लाख करोड़ रुपये की गिरावट रही.
निर्मला सीतारमण ने कहा था कि कॉर्पोरेशन टैक्स में कटौती करने से केंद्र सरकार को 1.45 लाख करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान होगा.
अपने पहले बजट में निर्मला सीतारमण कॉर्पोरेशन टैक्स को लेकर काफी उत्साहित थीं. उन्होंने अनुमान लगाया कि वह इस साल अकेले इस टैक्स से 7.66 लाख करोड़ रुपये कमाएंगी क्योंकि यह केंद्र सरकार के राजस्व का सबसे बड़ा स्रोत माना जाता है. इसके बाद सरकार का मानना था कि जीएसटी से 6.63 लाख करोड़ रुपये और आयकर 5.69 लाख रुपये आएगा.
बजट 2020: पांच प्रमुख करों में से चार बजट लक्ष्य से चूके, कॉर्पोरेशन टैक्स संग्रह में सबसे बड़ा नुकसान - Economic slump causes mayhem पांच प्रमुख करों में से चार बजट लक्ष्य से चूके
जैसा कि अनुमान लगाया गया था अर्थव्यवस्था में मंदी का असर टैक्स कलेक्शन पर पड़ा. कॉर्पोरेशन टैक्स संग्रह में सबसे बड़ा नुकसान देखा गया. आयकर, जीएसटी, उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क अपने बजट लक्ष्य को पूरा नहीं कर सके.
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हालांकि, कॉरपोरेशन कर संग्रह पिछले वर्ष के संग्रह से भी कम हो गया है. पिछले साल केंद्र सरकार को इस टैक्स से 6.63 लाख करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे. जुलाई 2019 में वित्त मंत्री ने अनुमान लगाया कि उन्हें 7.66 लाख करोड़ रुपये मिलेंगे लेकिन अब वह वित्त वर्ष 2019-20 में केवल 6.10 लाख करोड़ रुपये कमाने की उम्मीद कर रही हैं, जो उनके बजट अनुमानों से 20% से अधिक की गिरावट है.
इसी तरह इनकम टैक्स कलेक्शन भी इस साल 10,000 करोड़ रुपये के बजट अनुमान से चूक गया है. निर्मला सितारमण ने आयकर संग्रह को 5.69 लाख करोड़ रुपये करने का अनुमान लगाया था, लेकिन अब उन्होंने इस वित्तीय वर्ष के लिए आयकर संग्रह के लिए अपने अनुमान को संशोधित कर केवल 5.59 लाख करोड़ रुपये कर दिया है.
हालांकि, वह इस बात पर तसल्ली कर सकती है कि आयकर संग्रह पिछले वर्ष के आंकड़े से थोड़ा ज्यादा हो सकता है.
जीएसटी संग्रह में समान प्रवृत्ति दिखाई दे रही है. संशोधित अनुमानों के अनुसार सीजीएसटी और आईजीएसटी संग्रह 6.63 लाख करोड़ रुपये के बजट लक्ष्य के मुकाबले 6.12 लाख करोड़ रुपये निर्धारित है, जो बजट अनुमानों से 51,000 करोड़ रुपये की गिरावट है.
हालांकि, आयकर संग्रह की तर्ज पर, जीएसटी संग्रह भी पिछले साल के आंकड़ों से अधिक होगा जब यह 5.81 करोड़ रुपये से अधिक था.
(लेखक - कृष्णानन्द त्रिपाठी, वरिष्ट पत्रकार)
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