नई दिल्ली: भारत की आर्थिक सुधार इस बात पर निर्भर करता है कि आने वाले महीनों में देश कोविड-19 संक्रमणों से कैसे निपटता है, क्योंकि वैश्विक महामारी ही एकमात्र कारण है, जिसने भारत जैसी जीवंत और गतिशील अर्थव्यवस्था को दबा दिया है. कैलिफोर्निया लॉस एंजिल्स विश्वविद्यालय (यूसीएलए) के एक प्रोफेसर अवनिधर सुब्रह्मण्यम ने यह बात कही.
प्रोफेसर सुब्रह्मण्यम ने ईटीवी भारत के एक सवाल के जवाब में बताया, "मूल रूप से, सब कुछ संक्रमण दर के साथ निर्भर है. जहां तक मैं देख सकता हूं, भारत जैसी जोरदार और गतिशील अर्थव्यवस्था के दबने का एकमात्र कारण संक्रमण है."
अत्यधिक संक्रामक कोविड 19 वायरस ने देश में 1,15,000 से अधिक लोगों और दुनिया भर में 1.1 मिलियन से अधिक लोगों की जान ले ली है. इसे पहली बार पिछले साल के अंत में चीन के वुहान क्षेत्र में खोजा गया था.
वायरस ने देश की अर्थव्यवस्था को इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून अवधि) के दौरान लगभग एक चौथाई कम कर दिया है, जो 40 से अधिक वर्षों में इस तरह का सबसे बड़ा संकुचन है. भारतीय रिजर्व बैंक ने इस वर्ष देश की अर्थव्यवस्था में कुल वार्षिक संकुचन का प्रतिशत बढ़ाया है.
नोएडा स्थित नीति थिंक टैंक, ईजीआरओडब्लू फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में बोलते हुए, प्रोफेसर सुब्रह्मण्यम ने कहा कि जब तक महामारी काबू में नहीं होगी तब तक कुछ नहीं होगा.
अर्थशास्त्री ने ईटीवी भारत को बताया, "यहां मुख्य कारण संक्रमण दर है, जो कि इस समय दुनिया में सबसे अधिक संक्रमण दर है. जब तक यह नीचे नहीं आता है, तब तक कुछ नहीं होगा."
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