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वास्तविक अर्थव्यवस्था से मेल नहीं खा रही है शेयर बाजार की तेजी, हो सकता है करेक्शन: गवर्नर दास

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास कहा कि वैश्विक वित्तीय प्रणाली में काफी नकदी उपलब्ध है, यही वजह है कि शेयर बाजार में तेजी का रुख बना हुआ है. यह वास्तविक अर्थव्यवस्था की स्थिति से बिल्कुल अलग है. आने वाले समय में इसकी दिशा सुधरेगी, लेकिन ऐसा कब होगा इसे बताना मुश्किल है.

वास्तविक अर्थव्यवस्था से मेल नहीं खा रही है शेयर बाजार की तेजी, हो सकता है करेक्शन: गवर्नर दास
वास्तविक अर्थव्यवस्था से मेल नहीं खा रही है शेयर बाजार की तेजी, हो सकता है करेक्शन: गवर्नर दास

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Published : Aug 23, 2020, 2:21 PM IST

नई दिल्ली: रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शेयर बाजार में सतर्कता बरते की जरूरत की ओर इशारा देते हुये कहा कि इस बाजार का वास्तविक अर्थव्यवस्था के साथ तालमेल नहीं दिख रहा है. ऐसी स्थिति में शेयर बाजार की दिशा आने वाले समय में जरूर बदलेगी.

उन्होंने कहा कि बाजार अपने को ठीक कब करेगा, यह भविष्यवाणी करना मुश्किल है. रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा ऐसा लगता है कि वैश्विक वित्तीय प्रणाली में अधिक नकदी उपलब्ध होने से शेयर बाजार में तेजी को बढ़ावा मिल रहा है.

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दास ने एक समाचार चैनल के साथ बातचीत में कहा, "वैश्विक वित्तीय प्रणाली में काफी नकदी उपलब्ध है, यही वजह है कि शेयर बाजार में तेजी का रुख बना हुआ है. यह वास्तविक अर्थव्यवस्था की स्थिति से बिल्कुल अलग है. आने वाले समय में इसकी दिशा सुधरेगी, लेकिन ऐसा कब होगा इसे बताना मुश्किल है."

उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक बाजार की स्थिति पर लगातार निगाह रखे हुये है. बाजार के व्यवहार की आरबीआई लगातार निगरानी कर रहा है, उसका वित्तीय क्षेत्र की स्थिरता पर पड़ने वाले प्रभाव पर भी नजर रखे हुये है और जब भी जरूरत होगी जरूरी कदम उठाया जायेगा.

फ्रेंकलिन टेम्पलटन म्यूचुअल फंड द्वारा छह बांड/रिण-पत्र में निवेश करने वाली निवेश योजना को बंद करने के बारे में आरबीआई गवर्नर ने कहा कि म्यूचुअल फंड उद्योग के लिये 50,000 करोड़ रुपये के कर्ज की खिड़की खोलकर आरबीआई ने पहले से सावधानी बरती है.

दास ने यह भी कहा कि रिजर्व बैंक ने कोविड- 19 महामारी के दौरान कर्ज किस्तों के भुगतान पर रोक लगाने का जो कदम उठाया वह महामारी से उत्पन्न दबाव को कम करने के लिये एक अस्थाई समाधान था. यह राहत 31 अगस्त को समाप्त हो रही है. रिजर्व बैंक ने इस माह की शुरुआत में कंपनी और व्यक्तिगत कर्ज की एकबारगी पुनर्गठन की अनुमति बैंकों को दी है.

इस पर गवर्नर ने कहा, "जहां तक मेरी जानकारी है सभी बैंकों के पास 31 अगस्त तक उनके निदेशक मंडल से मंजूरी प्राप्त पुनर्गठन रूपरेखा उपलब्ध होगी और उसके बाद वह उसपर अमल करेंगे."

इस योजना से किसे फायदा मिलेगा इसका निर्णय बैंकों द्वारा किया जायेगा. गवर्नर ने कहा कि पुनर्गठन योजना की पात्रता के बारे में आरबीआई की 6 अगस्त की अधिसूचना में बता दिया गया है. इस अधिसूचना में कहा गया है कि पुनर्गठन का लाभ ऐसे कर्जदारों द्वारा उठाया जा सकता है जिनका लोन खाता एक मार्च को मानक श्रेणी में था और उसमें डिफाल्ट 30 दिन से अधिक नहीं होना चाहिये.

केवि कामत समिति पर बोले दास

दास ने कहा कि केवी कामत की अध्यक्षत वाली समिति शुद्ध परिचालन आय और कर्ज की किस्त के अनुपात, परिचालन लाभ और ब्याज के अनुपात तथा रिण समाधान के बाद कर्ज और शयेरपूंजी के अनुपात जैसे कुछ वित्तीय मानदंडों को लेकर अपनी सिफारिश देगी. पांच सदस्यीय यह समिति खुदरा कर्जों पर नहीं बल्कि बड़े कंपनी कर्ज को लेकर अपनी राय देगी. समिति की सिफारिशों को उसके गठन के 30 दिन के भीतर अधिसूचित कर दिया जायेगा. इसका मतलब यह हुआ कि छह सितंबर को अधिसूचना जारी कर दी जायेगी.

ब्याज दरों में और कटौती की गुंजाइश

ब्याज दरों में कटौती के बारे में दास ने दोहराया कि मौद्रिक नीति में आगे और कदम उठाने की गुंजाइश है लेकिन शस्त्रों का इस्तेमाल सही समय पर वृद्धि को प्रोत्साहन के लिये किया जाना ही उचित होगा. मौजूदा स्थिति में वृद्धि और मुद्रास्फीति परिदृष्य के बेहतर आकलन के लिये प्रतीक्षा करना ही समझदारी होगी. आर्थिक परिदृष्य के बारे में दास ने कहा कि आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के नकारात्मक रहने का अनुमान लगाया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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